Edited By Vijay, Updated: 29 Nov, 2022 08:46 PM

स्नातक प्रथम वर्ष के परीक्षा परिणाम को लेकर उठ रहे सवालों के बीच हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) ने विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए हैं। ग्रेस मार्क्स के तौर पर 8 अंक मिलने के बाद भी 80 प्रतिशत विद्यार्थी पास नहीं हो पाए हैं।
शिमला (अभिषेक): स्नातक प्रथम वर्ष के परीक्षा परिणाम को लेकर उठ रहे सवालों के बीच हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) ने विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए हैं। ग्रेस मार्क्स के तौर पर 8 अंक मिलने के बाद भी 80 प्रतिशत विद्यार्थी पास नहीं हो पाए हैं। विश्वविद्यालय के ऑर्डीनैंस के तहत स्नातक प्रथम वर्ष के सभी विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स का लाभ देकर राहत प्रदान करने का प्रयास किया गया और एक प्रतिशत ग्रेस मार्क्स सभी विद्यार्थियों को दिए गए हैं लेकिन ग्रेस मार्क्स प्रदान किए जाने के बाद भी कई विद्यार्थी संबंधित पेपरों में पास नहीं हो पाए हैं।
विश्वविद्यालय के नियमों के तहत किसी विद्यार्थी को अगर एक विषय में 8 अंक या फिर सभी विषयों में एक-एक अंक की जरूरत हो तो प्रशासन की ओर से पहले ही यह ग्रेस मार्क्स के तौर पर ये अंक दिए जाते हैं। इस बार स्नातक प्रथम वर्ष में 80 प्रतिशत के करीब विद्यार्थियों को परिणाम खराब आया है और इसी के चलते बीते कुछ दिनों से लगातार विश्वविद्यालय का माहौल गरमाया हुआ है और इसको देखते हुए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने ऑर्डीनैंस के तहत 1 प्रतिशत ग्रेस मार्क्स पहले ही दे दिए हैं। इसका प्रावधान पहले से ही नियमों में है और अगर कोई विद्यार्थी एक प्रतिशत अंक से फेल हो रहा है तो उसे परीक्षा शाखा ही राहत दे सकती है।
इसके अलावा विद्यार्थी को पास होने के लिए और अतिरिक्त अंकों की जरूरत हो तो इसको लेकर निर्णय विश्वविद्यालय की ओर से गठित कमेटी की ओर से किया जाता है। कमेटी की रिपोर्ट सिफारिश करती है तो इसका प्रस्ताव विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) के समक्ष लाया जाएगा। इसके बाद कमेटी की रिपोर्ट जब अकादमी काऊंसिल और कार्यकारी परिषद की बैठक में जाएगी उसके बाद ही इस पर फैसला हो सकेगा।
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