Edited By Vijay, Updated: 25 Jul, 2025 03:12 PM

जिला चम्बा के चुराह उपमंडल में प्राकृतिक आपदाएं लगातार मुसीबतें खड़ी कर रही हैं। शुक्रवार काे सुबह करीब 6 बजे चम्बा-नकराेड़-चांजू मार्ग पर कठवाड़ के पास भयंकर भूस्खलन हुआ, जिसके चलते सड़क पूरी तरह से मलबे में दब गई और वाहनों की आवाजाही बंद हो गई।
तीसा (सुभानदीन): जिला चम्बा के चुराह उपमंडल में प्राकृतिक आपदाएं लगातार मुसीबतें खड़ी कर रही हैं। शुक्रवार काे सुबह करीब 6 बजे चम्बा-नकराेड़-चांजू मार्ग पर कठवाड़ के पास भयंकर भूस्खलन हुआ, जिसके चलते सड़क पूरी तरह से मलबे में दब गई और वाहनों की आवाजाही बंद हो गई। गनीमत रही कि हादसे के वक्त सड़क पर न तो कोई वाहन था और न ही कोई राहगीर, जिससे किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। लोक निर्माण विभाग की टीम ने युद्धस्तर पर कार्य करते हुए करीब 8 घंटे बाद सड़क काे छाेटे वाहनाें के लिए बहाल कर दिया है।
बता दें कि भूस्खलन के कारण करीब 4 पंचायतों चांजू, चरड़ा, देहरा और बघेईगढ़ का संपर्क जिला मुख्यालय व दुनिया से पूरी तरह कट गया था, लेकिन अब मार्ग बहाल हाेने से इन पंचायताें के बाशिंदाें ने राहत की सांस ली है। उधर, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता जोगेंद्र शर्मा ने बताया कि सुबह जैसे ही सड़क बंद होने की सूचना मिली ताे तुरंत मशीनरी और कर्मचारी माैके पर भेजे गए, जिन्हाेंने 8 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सड़क काे छाेटे वाहनाें के लिए बहाल कर दिया है। माैके पर मशीनरी मलबा हटाने में जुटी हुई है तथा जल्द ही सड़क को पूरी तरह से आवाजाही के लिए बहाल कर दिया जाएगा।
पहले भी आईं कई प्राकृतिक आपदाएं
चुराह क्षेत्र में बीते कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बादल फटने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कई स्थानों पर नाले उफान पर आ गए, जिससे लोक निर्माण विभाग के तीन पुल बह चुके हैं। सबसे बड़ी क्षति उस समय हुई जब एक नव निर्मित पुल, जिसकी लागत 2 करोड़ रुपए से अधिक थी, बादल फटने की वजह से बह गया। उस पुल के बहने से भी इन्हीं पंचायतों का संपर्क टूट गया था। उस समय विभाग ने अस्थायी रास्ता बनाकर लोगों को राहत दी थी, लेकिन स्थायी समाधान अब तक नहीं हो पाया है।
किसान परेशान, आजीविका पर मंडरा रहा संकट
भूस्खलन और बाढ़ से न केवल सड़कें और पुल तबाह हुए हैं, बल्कि स्थानीय किसानों के खेतों को भी भारी नुक्सान पहुंचा है। खेतों में खड़ी फसलें बह गई हैं या मिट्टी से भर गई हैं। इससे ग्रामीणों की आजीविका पर भी संकट मंडराने लगा है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार इस क्षेत्र की स्थिति को गंभीरता से ले और स्थायी समाधान के लिए ठोस कदम उठाए। साथ ही, आपदा प्रबंधन तंत्र को और मजबूत किया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से जनजीवन अधिक प्रभावित न हो।