Edited By Jyoti M, Updated: 23 Jul, 2025 11:38 AM

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित गोविंद सागर झील में देश की पहली 2 किलोमीटर लंबी केबल फेरी सेवा जल्द ही शुरू होने वाली है। यह आधुनिक जल परिवहन परियोजना भाखड़ा बोट घाट से शाहतलाई के ब्राह्मणी घाट तक चलेगी, जिससे न केवल तीर्थयात्रियों और...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित गोविंद सागर झील में देश की पहली 2 किलोमीटर लंबी केबल फेरी सेवा जल्द ही शुरू होने वाली है। यह आधुनिक जल परिवहन परियोजना भाखड़ा बोट घाट से शाहतलाई के ब्राह्मणी घाट तक चलेगी, जिससे न केवल तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बड़ी राहत मिलेगी, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी नई गति मिलेगी।
इस केबल फेरी का उद्देश्य धार्मिक और पर्यटन क्षेत्रों को आपस में जोड़ना है। यह उत्तर भारत ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अपनी तरह की पहली सुविधा होगी। वर्तमान में, नयनादेवी से बाबा बालक नाथ मंदिर, दियोटसिद्ध जाने वाले श्रद्धालुओं को लगभग 80 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता है। इस केबल फेरी के शुरू होने से यह दूरी घटकर कुछ ही मिनटों की रह जाएगी, जिससे उनकी यात्रा बेहद आसान हो जाएगी।
यह फेरी केवल यात्रियों के लिए ही नहीं होगी, बल्कि इसमें कार, जीप, बाइक और स्कूटर जैसे छोटे वाहन भी एक किनारे से दूसरे किनारे तक आसानी से ले जा सकेंगे। फेरी को एक मजबूत केबल के सहारे खींचा जाएगा, जिसका कुछ हिस्सा पानी पर तैरेगा और कुछ हिस्सा केबल पर संतुलित रहेगा। इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके संचालन में किसी भी प्रकार के ईंधन की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे यह पर्यावरण के लिए पूरी तरह से अनुकूल होगी।
इस परियोजना की कुल लागत लगभग 20 करोड़ रुपये बताई जा रही है। अभी तक, श्री नयना देवी आने वाले श्रद्धालु दर्शन करने के बाद वहीं से वापस लौट जाते थे। लेकिन केबल फेरी के शुरू होने से उनके लिए बाबा बालक नाथ, दियोट सिद्ध जाना बहुत आसान हो जाएगा, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। विशेषज्ञों और तकनीकी टीम द्वारा 28 लाख रुपये की लागत से इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है।
पर्यटन सर्किट से जुड़ेंगे नए स्थल
केबल फेरी के शुरू होने से कोटधार की केसरिया पंचायत का क्षेत्र भी सीधे पर्यटन सर्किट से जुड़ जाएगा। यह क्षेत्र अब तक सड़क मार्ग से काफी हद तक कटा हुआ था, लेकिन केबल फेरी के जरिए यहां तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा। इसके साथ ही, ऐतिहासिक बच्छरेटु किला और प्राचीन शिव मंदिर को भी पर्यटन मार्ग पर लाने की तैयारी चल रही है। इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं को भी रोजगार के कई नए अवसर मिलेंगे।
हिमाचल सरकार के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने बताया कि यह परियोजना बिलासपुर जिले में पर्यटन और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गोविंद सागर झील, ऐतिहासिक धरोहरों और तीर्थ स्थलों का यह संगम क्षेत्र के पर्यटन मानचित्र को पूरी तरह से बदल सकता है।
केबल फेरी क्या है?
केबल फेरी एक विशेष प्रकार की नाव होती है, जिसे एक मजबूत केबल या रस्सी के सहारे एक किनारे से दूसरे किनारे तक खींचा जाता है। यह केबल पानी के ऊपर या नीचे लगी होती है। भारत में यह तकनीक कम ही जगहों पर देखने को मिलती है, और जहां है भी, वहां अधिकतर फेरियां ईंधन से चलती हैं। हालांकि, भाखड़ा में प्रस्तावित यह फेरी पूरी तरह से केबल आधारित होगी, जो इसे पर्यावरण के लिहाज से बेहद खास और अनूठी बनाएगी।