Edited By Vijay, Updated: 11 Apr, 2023 10:02 PM
चम्बा जिले का ऐतिहासिक सूही माता मेला पूजा-अर्चना के साथ शुरू हो गया। मंगलवार को 3 दिवसीय मेले के शुभारंभ पर पिंक पैलेस से शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा के माध्यम से माता के चिन्ह को पिंक पैलेस से शामधार पहाड़ी पर स्थित मंदिर ले जाया गया।
चम्बा (काकू): चम्बा जिले का ऐतिहासिक सूही माता मेला पूजा-अर्चना के साथ शुरू हो गया। मंगलवार को 3 दिवसीय मेले के शुभारंभ पर पिंक पैलेस से शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा के माध्यम से माता के चिन्ह को पिंक पैलेस से शामधार पहाड़ी पर स्थित मंदिर ले जाया गया। इसमें काफी संख्या में लोग शामिल हुए। अब चिन्ह को 3 दिन तक श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए यहां रखा जाएगा। परंपरा के अनुसार शोभायात्रा की अगुवाई राज परिवार की कन्या करती है लेकिन राजपरिवार में कुंवारी कन्या न होने पर इसकी अगुवाई ब्राह्मण परिवार की कन्या द्वारा की जाती है। इस बार ब्राह्मण परिवार की कन्या पूर्वी भारद्वाज ने शोभायात्रा की अगुवाई की। इस शोभायात्रा में चम्बा सदर के विधायक नीरज नैय्यर व नगर परिषद अध्यक्ष नीलम नैय्यर उपस्थित रहे।
ब्राह्मण परिवार की कन्या ने अदा की पूजा-अर्चना की रस्म
शामधार पहाड़ी पर स्थित सूही मंदिर में चिन्ह की स्थापना के मौके पर पूजा-अर्चना की रस्म भी ब्राह्मण परिवार की कन्या पूर्वी भारद्वाज ने ही अदा की। उधर, नगर परिषद चम्बा की अध्यक्ष नीलम नैयर ने बताया कि चम्बा का यह ऐतिहासिक मेला है। विधायक नीरज नैय्यर ने जिला वासियों को मेले की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस मेले से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इस मौके पर उनके साथ उनकी धर्मपत्नी भारती नैय्यर भी उपस्थित रहीं। मेले के दूसरे दिन बुधवार को सूही माता के समाधि स्थल मलूणा में जाकर पुजारी और राज कन्या पूजा करेंगे। इसके बाद वीरवार को सुबह और शाम को पूजा-अर्चना के बाद मेले का विधिवत समापन होगा।
मेले का बढ़ेगा दर्जा
पूर्व शिक्षा मंत्री आशा कुमारी ने मेले के शुभारंभ पर पिंक पैलेस में पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा कि रानी सुनयना एक सशक्त महिला था, जिन्होंने प्रजा के हित के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया। उस दौरान उन्होंने कहा था कि मेरे बलिदान पर दुख व्यक्त मत करना बल्कि इसे एक उत्सव के रूप में मनाना। यही कारण है कि इस दिन को मेले के रूप में मनाया जाता है। मेले का स्तर बढ़ाने की बात स्थानीय विधायक ने कही है।
राजा साहिल वर्मन की पत्नी थी रानी सुनयना
सूही माता को सुनयना देवी भी कहा जाता है। रानी सुनयना राजा साहिल वर्मन की पत्नी थी। रानी के पुत्र युगाकार ने अपनी माता की समृति में शामधार पहाड़ी पर मंदिर निर्मित करवाया था। यह तथ्य एक ताम्र पट्टिका में भी अंकित है। राजा साहिल वर्मन ने दसवीं शताब्दी में भरमौर से अपनी राजधानी चम्बा स्थानांतरित कर ली थी। वह कुशल प्रशासक के साथ अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति का राजा था जो किसी भी समय जनहित में कोई भी बलिदान देने को तैयार रहता। इस बलिदान की कथा अति रोचक एवं हृदय विदारक है।
इसलिए मनाया जाता है मेला
रियासत काल में चम्बा नगर में पानी की किल्लत हो गई थी। मान्यता है कि रानी सुनयना ने शहर में पानी की किल्लत दूर करने के लिए समाधि ली थी। रानी को एक स्वप्न आया था, जिसके बाद रानी ने समाधि ली थी। इसके बाद चम्बा में पानी की किल्लत दूर हो गई थी। रानी सुनयना ने चम्बा वासियों के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण दे दिए थे।
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