सियाचिन के बर्फीले तूफान से जंग लड़कर घर लौटा हिमाचल का लाल

Edited By Vijay, Updated: 29 Dec, 2019 04:58 PM

himachali son returned home after fighting siachen s icy storm

हिमाचल प्रदेश के लाल ने सियाचिन के -40 डिग्री तापमान में बर्फीले तूफान से डटकर मुकाबला करते हुए बहादुरी का परिचय दिया है। बता दें कि हमीरपुर जिला के बड़सर उपमंंडल के घंगोट ग्राम पंचायत के टघेण गांव से संबंध रखने वाले अंकुश पुत्र नीरज कुमार डेढ़...

शिमला: हिमाचल प्रदेश के लाल ने सियाचिन के -40 डिग्री तापमान में बर्फीले तूफान से डटकर मुकाबला करते हुए बहादुरी का परिचय दिया है। बता दें कि हमीरपुर जिला के बड़सर उपमंंडल के घंगोट ग्राम पंचायत के टघेण गांव से संबंध रखने वाले अंकुश पुत्र नीरज कुमार डेढ़ महीने बाद जिंदगी की जंग जीतकर गांव लौटे हैं। सकुशल घर लौटे अंकुश को देखकर परिजन और उनके दोस्त काफी खुश हैं।

18 नवम्बर को आया था बर्फीला तूफान

बता दें कि अंकुश 20 अक्तूबर, 2017 को 19 वर्ष की आयु में देश की सेवा करने के लिए 6 डोगरा रैजीमैंट में भर्ती हुए थे। उनकी ड्यूटी 14 अगस्त, 2019 को 3 माह के लिए सियाचिन ग्लेशियर में लगा दी गई थी। 18 नवम्बर, 2019 को आए बर्फीले तूफान की चपेट में 6 डोगरा रैजीमैंट के 6 जवान और 2 सिवलियन आ गए थे।

छाती के बल 2 घंटे तक बर्फ के बीच पड़े रहे अंकुश

इस बर्फीले तूफान से बचने के लिए हमीरपुर के बड़सर के अंकुश और पंजाब का एक जवान छाती के बल 2 घंटे तक बर्फ के बीच पड़े रहे। रैस्क्यू टीम ने दोनों को बचा लिया जबकि इस तूफान की चपेट में आकर 4 जवानों और 2 सिवलियन की मौत हो गई। बुरी तरह घायल अंकुश और उनके साथी जवान को हैलीकॉप्टर के माध्यम से मिलट्री अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उनका डेढ़ महीने तक उपचार चला।

बेटे के सकुशल घर लौटने पर पिता ने जताई खुशी

अंकुश के पिता नीरज कुमार (जोकि 6 डोगरा रैजीमैंट में वर्तमान में कार्यरत हैं) ने बेटे के सकुशल घर लौटने पर खुशी व्यक्त की, वहीं बर्फीले तूफान में शहीद हुए जवानों के लिए प्रार्थना की। उन्होंने बताया कि अंकुश की उम्र अभी 21 वर्ष है। उनकी पढ़ाई चंडीगढ़ में हुई है। उन्होंने बताया कि अंकुश के दादा बाबू राम भी डोगरा रैजीमेंट से सेवानिवृत्त हुए हैं। अंकुश की माता पुष्पा देवी ने अपने बेटे के ठीक होने के लिए माता ज्वालाजी से मन्नत भी मांगी थी।

पूरी तरह स्वस्थ नहीं अंकुश, शरीर पर अभी भी हैं घाव

अंकुश अभी भी पूरी तरह स्वास्थ्य नहीं हुए हैं। उनके शरीर में अभी भी घाव हैं। अंकुश के पिता ने बताया कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। उन्होंने कहा कि हमारे परिवार के लोग देश की सेवा और तिरंगे की शान के लिए अंतिम सांस तक लडऩे वाले हैं। हमारी तीसरी पीढ़ी आर्मी में जाकर देश की सेवा कर रही है। भारतीय सेना ने अभी अंकुश को छुट्टी पर घर भेजा है।

रैजीमेंट ने मैडल के लिए आगे भेजा अंकुश का नाम

अंकुश की बहादुरी को देखते हुए भारतीय डोगरा रैजीमेंट ने उनका नाम मैडल के लिए आगे भेज दिया है। अब अंकुश पठानकोट में ड्यूटी देंगे। हैरानी की बात तो यह है कि अभी तक बड़सर के लाल से मिलने के लिए न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी और न ही कोई नेता पहुंचा है।

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