Himachal: ठंड से पशुओं का करें बचाव, नहीं तो लग सकती हैं बीमारियां, जारी की गई यह एडवाइजरी

Edited By Jyoti M, Updated: 07 Dec, 2025 05:26 PM

himachal protect your animals otherwise they may contract diseases

चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि एवं पशुपालन वैज्ञानिकों ने दिसम्बर माह के पहले पखवाड़े में किए जाने वाले पशुपालन संबंधी कार्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है। कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं सिरमौर के प्रभारी एवं प्रधान...

नाहन, (हितेश): चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि एवं पशुपालन वैज्ञानिकों ने दिसम्बर माह के पहले पखवाड़े में किए जाने वाले पशुपालन संबंधी कार्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है। कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं सिरमौर के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डा. पंकज मित्तल ने बताया कि दिसम्बर महीने में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में ठंड के कारण पशुओं की उत्पादन और प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए पशुपालक इस मौसम में ठंड से बचाव से संबंधित प्रबंधन कार्य सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि तापमान में गिरावट से पशुओं में कई प्रकार की बीमारियां सामने आती हैं, जिनमें से कुछ अति संक्रामक रोग पशुओं के लिए घातक साबित होते हैं और किसानों को इन बीमारियों के कारण भारी नुक्सान उठाना पड़ता है।

उन्हीं में से कुछ बीमारियां विषाणु के कारण होती हैं, जो जानवरों की बड़े पैमाने पर मृत्यु का कारण बनती हैं। पशुपालक जानवरों में बीमारी के किसी भी लक्षण जैसे भूख न लगना या कम होना, तेज बुखार, चमड़ी पर लाल धबे या फफोले निकलना और आंख- नाक-मुंह से अत्यधिक स्राव की स्थिति में तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें। पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाव के लिए उनका टीकाकरण पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार अवश्य करवाएं। 

विशेषज्ञों ने किसानों को अपने क्षेत्रों की भौगोलिक और पर्यावरण परिस्थितियों के अनुसार अधिक एवं अतिविशिष्ट जानकारी के लिए जिला के कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर से संपर्क बनाए रखने की अपील की। 

मछली पालकों को ये सलाह

वैज्ञानिकों ने मछली पालक किसानों को सलाह दी है कि तापमान में कमी के साथ मछली का फीड सेवन कम हो जाता है, इसलिए तापमान के आधार पर खिलाने की दर को कम करना आवश्यक है। किसान तालाब में पानी की गहराई 6 फुट तक रखें, ताकि मछली को गर्म स्थान में शीत निद्रा के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। शाम के समय नलकूप से नियमित पानी डालकर सतह के पानी को गर्म रखने में मदद मिलती है।

दुधारू पशुओं के थन कीटनाशक से करें साफ

वैज्ञानिकों के अनुसार दुधारू पशुओं को मैस्टाइटिस-थनेला रोग से बचाने के लिए दूध निकालने के पहले और बाद उनके थनों को कीटाणुनाशक दवाई से साफ करें। इन महीनों में फैशियोला एवं एम्फीस्टोम नामक फीता कृमियों के संक्रमण निचले और दलदली क्षेत्रों में ज्यादा होता है, इसलिए इसे नजरअंदाज न करें। बचाव के लिए पशुओं के गोबर की जांच पशु चिकित्सालय में करवा लें और रोग की निश्चित तौर पर पहचान हो जाने पर पशु चिकित्सक से रोगी पशु का उपचार करवाएं।

पशु चिकित्सक की सलाह से ही पशुओं को पेट व जिगर के कीड़े मारने की दवाई दें। पशुओं को ठंड से बचाने के लिए उचित उपाय करें। जानवरों को रात के दौरान शैड में रखें और पशुओं को पीने के लिए साफ गुनगुना पानी दें। पशुओं की विकास दर ठीक रखने लिए प्रोटीन, विटामिन और खनिज युक्त संतुलित आहार हैं। खनिज की कमी से बचने के लिए पशुओं को नमक चटाएं और आवश्यक खनिज मिश्रण उचित मात्रा में चारे में मिलाकर पशुओं को दें।

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