Edited By Jyoti M, Updated: 24 Nov, 2024 05:27 PM
स्मार्टफोन ने हमारी जीवनशैली को बहुत ही सरल और सुविधाजनक बना दिया है, लेकिन इसके अत्यधिक उपयोग के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। आंखों में जलन, नींद में कमी, सर्वाइकल और मांसपेशियों में दर्द, और मानसिक तनाव जैसे विकार अब आम हो गए हैं।
हिमाचल डेस्क। स्मार्टफोन ने हमारी जीवनशैली को बहुत ही सरल और सुविधाजनक बना दिया है, लेकिन इसके अत्यधिक उपयोग के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। आंखों में जलन, नींद में कमी, सर्वाइकल और मांसपेशियों में दर्द, और मानसिक तनाव जैसे विकार अब आम हो गए हैं।
इन समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि हम स्क्रीन का समय नियंत्रित करें, नियमित रूप से आंखों की राहत के लिए व्यायाम करें, और मानसिक शांति के लिए तकनीकी उपयोग में संतुलन बनाए रखें।
आईजीएमसी शिमला द्वारा करवाया गया सर्वे
आईजीएमसी शिमला की ओर से यह सर्वे करवाया गया। शिमला जिले में हुए एक सर्वेक्षण में फोन का ज्यादा प्रयोग करने वाले 23 फीसदी लोगों में नींद विकार और 15.3 फीसदी अवसाद-चिड़चिड़ापन पाया गया। 50 फीसदी को आंखों में जलन, खुजली, बार-बार पानी आने की समस्या है।
आईजीएमसी के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित सचदेवा ने बताया कि सर्वे में शिमला जिले के 400 व्यस्क लोगों को शामिल किया गया। इनमें 23 फीसदी लोगों ने नींद की समस्या के बारे में बताया।
15.3 फीसदी लोग अवसाद और चिड़चिड़ापन की समस्या से ग्रस्त पाए गए। 97.3% लोग व्यक्तिगत मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। इनमें 42.3% लोग हर दिन 3-4 घंटे मोबाइल का उपयोग करते हैं। 21.3% सिददर्द, 10.3 सर्वाइकल और 7.8 मांसपेशियों में दर्द से जूझते पाए गए हैं।
गांव के लोग ज्यादा देख रहे फोन
डॉ. रामलाल शर्मा, विभागाध्यक्ष, आईजीएमसी ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में 55.3 फीसदी लोग 2 घंटे से अधिक मोबाइल चलाते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या 70.4% है।
शहरी क्षेत्र के 56 फीसदी लोग शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए मोबाइल का उपयोग करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या 40.4 फीसदी है। मोबाइल फोन के दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए जागरुकता और नीतिगत उपायों की जरूरत है।