Edited By Vijay, Updated: 05 May, 2023 08:42 PM

प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षकों को 1 अक्तूबर, 2012 से संशोधित वेतनमान देने के आदेश पारित कर दिए। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वह 6 सप्ताह के भीतर शारीरिक शिक्षकों को संशोधित वेतनमान अदा करें।
शिमला (मनोहर): प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षकों को 1 अक्तूबर, 2012 से संशोधित वेतनमान देने के आदेश पारित कर दिए। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वह 6 सप्ताह के भीतर शारीरिक शिक्षकों को संशोधित वेतनमान अदा करें। अदालत ने विभाग को आदेश दिए कि इन शिक्षकों को दिए जाने वाला संशोधित वेतन पैंशन निर्धारण के लिए भी गिना जाए। याचिकाकर्ता नानक चंद और अन्यों की याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने यह निर्णय सुनाया।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिक्षा विभाग ने सिर्फ शारीरिक शिक्षक डीपी की श्रेणी को छोड़कर बाकी 19 श्रेणियों को संशोधित वेतनमान का लाभ 1 अक्तूबर, 2012 से दिया है लेकिन इन शिक्षकों को यह लाभ 1 नवम्बर, 2014 से दिया गया। दलील दी गई कि उनकी नियुक्ति शुरू में पीटी (फिजिकल टीचर) हुई थी और पदोन्नति के बाद उन्हें डीपी बनाया गया। 22 सितम्बर, 2012 को सरकार ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें शिक्षा विभाग के 19 श्रेणियों के कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का लाभ दिया गया लेकिन शारीरिक शिक्षकों को इसमें नहीं जोड़ा गया।
उसके बाद 1 नवम्बर, 2014 को राज्य सरकार ने एक नई अधिसूचना जारी की, जिसके तहत डीपी को संशोधित वेतनमान का लाभ दिया गया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिक्षकों के साथ भेदभाव की नीति अपनाई गई है। कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षकों के संशोधित वेतन निर्धारण में भेदभाव किया है।
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