वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट सख्त, विभाग को दिए ये आदेश

Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Dec, 2017 09:07 PM

hc strict on encroachment on forest land  these orders gave to department

प्रदेश उच्च न्यायालय ने 5 बीघा से अधिक सरकारी वन भूमि पर किए अतिक्रमण को तुरंत प्रभाव से हटाने के आदेश पारित किए हैं।

शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने 5 बीघा से अधिक सरकारी वन भूमि पर किए अतिक्रमण को तुरंत प्रभाव से हटाने के आदेश पारित किए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि यह ग्राम पंचायतें ग्राम सभाएं ग्राम समिति जिला परिषद के पदाधिकारियों, वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों तथा पुलिस विभाग का दायित्व है कि वह न्यायालय द्वारा वन भूमि से अतिक्रमण हटाने बाबत समय-समय पर पारित आदेशों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित करें अन्यथा इन सबके खिलाफ  अवमानना की कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

न्यायालय में पेश करें 6 महीनों का रिकॉर्ड 
प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल को आदेश दिए हैं कि वह पिछले 6 महीनों का रिकॉर्ड न्यायालय के समक्ष पेश करें और बताएं कि उन्होंने कितने अतिक्रमणकारियों के खिलाफ  6 अप्रैल, 2015 को पारित आदेशों की अनुपालना में कार्रवाई अमल में लाई है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उपरोक्त अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वह विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष दायर करें जिसमें कि इस बात का विशेषतया उल्लेख हो कि जो लोग सरकारी भूमि का उपयोग करते हुए लाभ प्राप्त कर रहे थे उनसे रिकवरी करने हेतु क्या कार्रवाई अमल में लाई गई है। 

फल देने वाले पौधों की प्रूनिंग को नहीं मिलेगी अनुमति
हाईकोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि जिन अतिक्रमण से जुड़े हुए मामलों में अंतिम निर्णय पारित कर लिया है और इन अतिक्रमणकारियों द्वारा भूमि को खाली किया जाना है उनको उनके द्वारा खेती के लिए उपयोग में लाई गई तथा अपने तरीके से विकसित की गई भूमि पर सेब व अन्य फल देने वाले पौधों की प्रूनिंग करने की अनुमति न दी जाए। उन्हें इन पौधों के नीचे तौलिए बनाने व इनकी स्प्रे करने की इजाजत न दी जाए। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि अतिक्रमणकारियों को इस भूमि पर किसी भी तरह के बीज उगाने की अनुमति प्रदान न की जाए। न्यायालय ने उपरोक्त अधिकारियों को यह भी आदेश दिए हैं कि वह अतिक्रमण की गई भूमि व नए मामले पर अपनी पैनी नजर रखें व कार्यवाही को तुरंत अंजाम दें। मामले पर सुनवाई 20 दिसम्बर को होगी।

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