Edited By Vijay, Updated: 26 Aug, 2025 07:53 PM

डायनों व देवताओं के युद्ध के बाद देवताओं ने अपने स्थानों पर लौटने के साथ ही सुख शांति व मौसम से राहत का संदेश दिया है। मंगलवार को दोपहर बाद खनियारा स्थित प्राचीन श्री इंद्रूनाग मंदिर में इंद्रूनाग देवता ने अपने गुर के माध्यम से क्षेत्र में बारिश से...
धर्मशाला (विवेक): डायनों व देवताओं के युद्ध के बाद देवताओं ने अपने स्थानों पर लौटने के साथ ही सुख शांति व मौसम से राहत का संदेश दिया है। मंगलवार को दोपहर बाद खनियारा स्थित प्राचीन श्री इंद्रूनाग मंदिर में इंद्रूनाग देवता ने अपने गुर के माध्यम से क्षेत्र में बारिश से नुक्सान न होने के साथ अच्छी फसलों व सुख-शांति की बात कही। डायनों के साथ युद्ध करके लौटे बारिश के देवता इंद्रूनाग के खनियारा पहुंचने पर विशेष पूजा-पाठ व खेलपात्र का आयोजन किया गया। प्राचीन वाद्य यंत्रों की धुन व जयकारों के बीच इंद्रूनाग के गुर ने खेल पात्र के दौरान बताया कि डायनों से युद्ध के दौरान इंद्रूनाग देवता व उनके भाइयों में तोरल नाग, मतड़ानाग को तीन-तीन व बुडू नाग को दो घाव लगे हैं, जबकि 6 के करीब भाले की मार भी लगी है।
गुर ने बताया कि मक्खन-चंदन लेप से इंद्रूनाग देवता का उपचार किया जाएगा। इसके बाद राधाष्टमी के पवित्र पर्व पर शिव शंकर के कैलाश में मणिमहेश में स्नान करने जाएंगे। इसके साथ ही धौलाधार पर्वत शृंखला में स्थित नागडल में भी स्नान करके लौटेंगे, इसके बाद थातरी के रास्ते सामरलाहड़ स्थित उखाड़ा मंदिर से 4 सितम्बर को भव्य खेल पात्र व पूजा पाठ के साथ खनियारा स्थित मंदिर में लाया जाएगा। इसके बाद गुर ने तीन वर्ष में होने वाली इंद्रूनाग देवता की विशेष पूजा-पाठ करने की तैयारी करने के भी संकेत दे दिए हैं। साथ ही देवता ने पूजा-पाठ की भी बात गुर के माध्यम से कही। अब देवता के अगले आदेश की बात गुरुवार को होने वाले खेल पात्र में स्पष्ट रूप से बताई जाएगी।
इंद्रूनाग मंदिर खनियारा के पुजारी विपिन नाग ने बताया कि डायन-देवता युद्ध के बाद इंद्रूनाग देवता को पूजा-पाठ व छड़ी यात्रा के माध्यम से मंदिर में लाया गया है। गुर के माध्यम से बताया गया है कि युद्ध में इंद्रूनाग देवता व उनके भाइयों को चोटें आई हैं। अब गुर के बताए अनुसार आगामी पांच दिनों तक चंदन व मक्खन से देवता का लेप किया जाएगा। इसके बाद स्नान के लिए नाग देवता मणिमहेश को रवाना होंगे।