Glanders Disease: हिमाचल में ग्लैंडर्स बीमारी ने दी दस्तक, इंसानों में भी फैलने का खतरा

Edited By Jyoti M, Updated: 29 Jan, 2025 12:01 PM

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मंडी जिले में घोड़ों और खच्चरों में फैलने वाली ग्लैंडर्स बीमारी ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। मकरीड़ी समौण में लिया घोड़ों के रक्त का सैंपल राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार में जांच के दौरान पॉजिटिव निकला है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए पशुपालन...

हिमाचल डेस्क। मंडी जिले में घोड़ों और खच्चरों में फैलने वाली ग्लैंडर्स बीमारी ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। मकरीड़ी समौण में लिया घोड़ों के रक्त का सैंपल राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार में जांच के दौरान पॉजिटिव निकला है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग ने जिलेभर में घोड़े और खच्चरों के रक्त के सैंपल की जांच के लिए फील्ड स्टाफ को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही, सभी घोड़ा पालकों से इस अभियान में सहयोग करने की अपील की गई है।

क्या है ग्लैंडर्स रोग?

ग्लैंडर्स एक संक्रामक और गंभीर रोग है, जो घोड़ों, खच्चरों और गधों में पाया जाता है। यह बीमारी बर्कहोल्डरिया मैलेई नामक जीवाणु के कारण घोड़े और खच्चरों में फैलती है। यह रोग घातक होता है और इसका इंसानों में भी फैलने का खतरा रहता है। यह संक्रामक रोग है। इसमें बीमारी के जीवाणु पशुओं के शरीर में फैल जाते हैं। शरीर में गांठें पड़ जाती हैं, मुंह से खून निकलने लगता है और सांस संबंधी तकलीफें भी बढ़ जाती हैं। घोड़ों में इस बीमारी की पुष्टि होने पर संक्रमित पशु को मार देना ही एकमात्र समाधान होता है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

जिले में जांच प्रक्रिया

हालांकि इस वर्ष इस बीमारी का प्रसार देर से हुआ, लेकिन कुल्लू और अन्य जिलों में पहले ही ग्लैंडर्स के मामले सामने आ चुके हैं। मंडी जिले में भी पशुपालन विभाग ने समय रहते सतर्कता बरतते हुए घोड़ों के रक्त के सैंपल भरने का कार्य आरंभ कर दिया था। इन सैंपलों को जांच के लिए हिसार भेजा जा रहा था, जहां मकरीड़ी समौण में लिए गए सैंपल में ग्लैंडर्स संक्रमण की पुष्टि हुई।

रोकथाम और सतर्कता

पशुपालन विभाग ने ग्लैंडर्स बीमारी की रोकथाम के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। जिलेभर में सभी घोड़ा पालकों को सतर्क रहने और पशुपालन विभाग के कर्मचारियों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया गया है। इस संदर्भ में उपनिदेशक, पशुपालन विभाग मंडी, डॉ. मुकेश महाजन ने कहा कि विभाग सतर्कता बरत रहा है और लगातार घोड़ों के रक्त के सैंपल लेकर जांच कर रहा है। उन्होंने सभी घोड़ा और खच्चर पालकों से अपील की कि वे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को सैंपलिंग में पूरा सहयोग दें, ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

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