Edited By Vijay, Updated: 02 Aug, 2025 04:46 PM

कांगड़ा चाय की गाथा भले ही वैभवशाली रही है परंतु समय के साथ कांगड़ा चाय उद्योग का ह्रास भी हकीकत है। अनेक परंपरागत चाय उत्पादकों ने चाय उत्पादन से किनारा कर लिया परंतु विदेश में जन्मे एक युवा ने....
पालमपुर (भृगु): कांगड़ा चाय की गाथा भले ही वैभवशाली रही है परंतु समय के साथ कांगड़ा चाय उद्योग का ह्रास भी हकीकत है। अनेक परंपरागत चाय उत्पादकों ने चाय उत्पादन से किनारा कर लिया परंतु विदेश में जन्मे एक युवा ने रसातल की ओर जा रहे कांगड़ा चाय उद्योग की इस आपदा में अवसर ढूंढ निकाला व एंटीऑक्सिडैंट से भरपूर कांगड़ा चाय में हर्बल इन्फ्यूजन का अनूठा एक्सपैरीमैंट किया, जो उन्हें एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित कर गया।
यूं आरंभ हुई सफलता की गाथा
राजीव सूद का जन्म सिंगापुर में हुआ लेकिन उनका पालन-पोषण पालमपुर स्थित रायपुर टी एस्टेट में हुआ। उनके पिता एक शिक्षक और माता एक गृहिणी हैं। वर्ष 2003 में उन्होंने सिंगापुर आर्मी की नौकरी छोड़कर भारत लौटने का निर्णय लिया। उन्होंने देखा कि कांगड़ा चाय अपनी पहचान खो रही है और यहीं से शुरू हुई उनकी उद्यमशील यात्रा। वर्ष 2006 में उन्होंने हिमालयन इंटरप्राइजिज की स्थापना की और हिमालयन ब्रू ब्रांड के अंतर्गत प्राकृतिक बिना कृत्रिम स्वाद वाली चाय और हर्बल इन्फ्यूजन को 100 से अधिक फ्लेवर में लोगों के सामने पेश किया। उन्होंने वर्षों से उपेक्षित चाय बागानों को लीज पर लेकर पुनर्जीवित किया और हिमाचल में पहली बार चाय को सुंदर गिफ्ट पैकिंग, कैडियों और कमर्शियल पैक के रूप में प्रस्तुत किया और आज हिमालयन ब्रू ब्रांड न केवल देशभर में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक स्थानीय सोच और वैश्विक पहचान वाला ब्रांड बन चुका है। रोटरी क्लब पालमपुर द्वारा आयोजित एक विशेष समारोह में हिमालयन ब्रू के संस्थापक राजीव सूद को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। यह सम्मान रोटरी क्लब पालमपुर के सचिव राघव शर्मा द्वारा अन्य वरिष्ठ रोटेरियन सदस्यों की उपस्थिति में प्रदान किया गया। आज हिमालयन ब्रू केवल एक चाय कंपनी नहीं, बल्कि एक सोच बन चुकी है, जो स्वास्थ्य, संस्कृति और परंपरा को जोड़ती है।
बंजर भूमि को लीज पर देने का सुझाव
राजीव सूद ने सरकार को बंजर भूमि को किसानों और उद्यमियों को लीज पर देने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा यदि राज्य सरकार चाहती है कि चाय उद्योग फिर से फले-फूले तो उसे उपलब्ध बंजर जमीन को खेती योग्य बनाकर चाय की खेती के लिए पट्टे पर देना चाहिए। इससे हम मौजूदा उत्पादन के मुकाबले कम से कम 50 प्रतिशत तक वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में पालमपुर और आसपास के क्षेत्रों में चाय का उत्पादन लगभग 9 लाख मीट्रिक टन है, जबकि कभी यह 17 लाख मीट्रिक टन से अधिक हुआ करता था।
युवाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरे
इस अवसर पर रोटरी सचिव राघव शर्मा ने कहा कि राजीव सूद का योगदान सिर्फ एक ब्रांड तक सीमित नहीं है, उन्होंने एक स्थानीय विरासत को आधुनिक पहचान दी है और युवाओं के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं। राघव शर्मा ने कहा कि राजीव सूद की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि जब किसी का सपना अपनी मिट्टी से जुड़ा हो और सोच दूरदर्शी हो तो परंपरा भी प्रगति का आधार बन सकती है। हिमालयन ब्रू अब सिर्फ एक ब्रांड नहीं, बल्कि कांगड़ा की पहचान बन चुकी है।