Edited By Vijay, Updated: 29 Nov, 2022 10:46 PM

स्नातक प्रथम वर्ष के परिणामों को लेकर उपजे विवाद के बीच कई विद्यार्थियों को सदमा लगा है। इस बीच जयसिंहपुर की रहने वाली बीएससी प्रथम वर्ष में फेल हुई एक छात्रा को भी सदमा लगा है और वह डिप्रैशन में चली गई है।
10वीं व 12वीं में लिए हैं 94 प्रतिशत अंक, छात्रा ने कॉलेज जाना किया बंद
शिमला (अभिषेक): स्नातक प्रथम वर्ष के परिणामों को लेकर उपजे विवाद के बीच कई विद्यार्थियों को सदमा लगा है। इस बीच जयसिंहपुर की रहने वाली बीएससी प्रथम वर्ष में फेल हुई एक छात्रा को भी सदमा लगा है और वह डिप्रैशन में चली गई है। छात्रा को विश्वास नहीं हो रहा है कि वह पेपर अच्छे होने के बाद भी बीएससी प्रथम वर्ष में फेल कैसे हो गई। फेल होने पर छात्रा ने अब काॅलेज जाना भी बंद कर दिया है और घर से बाहर भी नहीं निकल रही है। बेटी का दुख देख पिता सच्चाई जानने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) पहुंच गए और विश्वविद्यालय के अधिकारियों से मिलकर परिणाम को लेकर बात करना चाही लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
छात्रा को विश्वास नहीं कि हो सकती है फेल
जयसिंहपुर के रहने वाले कश्मीर सिंह पैरालिसिस से ग्रस्त होने के बावजूद अपनी बेटी के लिए मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय पहुंचे और इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय की परीक्षा शाखा सहित अन्य विभागों और अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगाए लेकिन उन्हें वहां से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इसके बाद कश्मीर सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनकी मेधावी बेटी को बीएससी प्रथम वर्ष में फेल कर दिया गया है। उनकी बेटी को विश्वास नहीं हो रहा है कि वह फेल हो सकती है। उन्होंने बताया कि परिणाम से आहत हुई बेटी अब डिप्रैशन में चली गई है। 12वीं कक्षा में उनकी बेटी के 94 प्रतिशत अंक आए थे और इससे पहले 10वीं में उनकी बेटी के 94 प्रतिशत अंक आए थे। पढ़ाई में अच्छी होने के बावजूद बेटी का फेल होने पर विश्वास नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि बेटी का कहना है कि उसके पेपर अच्छे हुए थे, बावजूद इसके उसे 2 पेपरों में फेल कर दिया गया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन से पिता ने लगाई गुहार
पिता कश्मीर सिंह ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी बेटी को पास किया जाए। बेटी के पेपर अच्छे होने के बाद भी वह फेल कैसे हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि मंगलवार को सुबह से वह विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में चक्कर काटते रहे, लेकिन कहीं से भी सकारात्मक जवाब नहीं मिला और कई अधिकारी अपने कमरे में नहीं मिले। वह कुलपति कार्यालय भी गए लेकिन वहां उन्हें बताया गया कुलपति अभी कार्यालय में नहीं हैं जिस कारण वह उनसे भी नहीं मिल पाए।
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