Edited By prashant sharma, Updated: 17 Jun, 2021 12:20 PM

शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में रोज की तरह सभी कार्य हो रहे थे। इसी बीच दो युवक वहां पहंुचते हैं और उपस्थित डाॅक्टर्स से कहते हैं कि डाॅक्टर साहब हम नशा छोड़ना चाहते हैं, हमारी मदद कीजिए।
शिमला : शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में रोज की तरह सभी कार्य हो रहे थे। इसी बीच दो युवक वहां पहंुचते हैं और उपस्थित डाॅक्टर्स से कहते हैं कि डाॅक्टर साहब हम नशा छोड़ना चाहते हैं, हमारी मदद कीजिए। आईजीएमसी अस्पताल पहुंचे दोनों युवक नेपाली बताए जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में नशे का कारोबार लगातार बढ़ता ही जा रहा है और युवा वर्ग नशे की चपेट में आ रहा है। नशे की लत छुड़ाने के लिए युवा अब अस्पताल का भी रूख कर रहे हैं। ऐसे ही युवाओं में से दो युवक आईजीएमसी पहुंचे थे।
तीन साल से कर रहे थे नशा
युवकों का कहना है कि वे पिछले 3 साल से लगभग हर तरह का नशा कर रहे हैं। नशा कहां से मिलता है, इस बात की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन उनके दोस्त उसे नशा लाकर देते थे। युवकों ने कहा कि नशे को इस्तेमाल करने की जानकारी मिलने पर परिजनों ने उन्हें नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया और इसी के चलते वे आईजीएमसी शिमला पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि शुरूआती दौर में नशा करके अच्छा महसूस होता था, लेकिन बाद में इसकी लत लग गई। कई बार चिट्टा खरीदने के लिए घर से चोरी भी की। वहीं, जानकारी मिलने पर परिजनों ने इसे छोड़ने के लिए प्रेरित किया और डॉक्टर की सलाह लेने की बात कही। आईजीएमसी में आपातकाल विभाग के सीएमओ डॉ. कर्नल महेश ने नशे से पीड़ित युवकों को इसे छोड़ने के लिए प्रेरित किया। साथ ही मनोचिकित्सक डॉक्टर से काउंसलिंग करवाने की बात कही।
डॉ. कर्नल महेश ने कहा कि उनके पास हर रोज 4 या 5 युवक ऐसे आते हैं, जो नशा करते हैं। इन युवकों को पुलिस पकड़ कर लाती है। डॉ. कर्नल महेश का कहना है कि नशे के आदी हो चुके युवक शर्म के कारण सामने नहीं आते और नशे के जाल में फंसते जाते हैं। कई युवा नशा छोड़ना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मौका और सहयोग नहीं मिल पाता है। उन्होंने डॉक्टरों से ऐसे युवकों की मदद और सहयोग की आग्रह किया है। गौरतलब है कि शिमला, मंडी, सोलन, और कांगड़ा में नशा का प्रकोप बड़ा है।