Edited By Vijay, Updated: 31 Dec, 2024 11:13 AM
प्रदेश हाईकोर्ट से बिना बीएड शास्त्री डिग्रीधारकों को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए बीएड की अनिवार्यता को गैर-कानूनी ठहराया।
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट से बिना बीएड शास्त्री डिग्रीधारकों को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए बीएड की अनिवार्यता को गैर-कानूनी ठहराया। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने शास्त्री अध्यापकों के लिए बीएड की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि सरकार बिना तय प्रक्रिया के और बिना भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन किए मनमानी शर्तें नहीं थोप सकती।
इससे पहले हाईकोर्ट की खंडपीठ शास्त्री अध्यापकों की भर्ती के लिए बीएड शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य करने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर चुकी है। उस समय बीएड डिग्री धारकों ने 19 फरवरी 2020 की अधिसूचना के तहत करवाई जा रही शास्त्री पदों की भर्तियों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वर्ष 2023 में शिक्षा विभाग ने शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए जिसमें बीएड डिग्री को अनिवार्य किया गया।
इसे प्रार्थियों ने हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी कि बिना भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन किए इस तरह की शर्त नहीं थोपी जा सकती। कुछ प्रार्थियों की दलील थी कि यदि बीएड डिग्री को शास्त्री के पदों के लिए अनिवार्य किया जाता है तो उनके बाद शास्त्री की डिग्री लेने के साथ-साथ बीएड करने वाले उनसे जूनियर नियुक्ति पा लेंगे जो बैच वाइज भर्ती के नियमों का उल्लंघन होगा।
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