Edited By Vijay, Updated: 25 Jun, 2025 11:08 PM

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी पावर प्रोजैक्टों में 12 फीसदी राॅयल्टी और 1 फीसदी लाडा राशि के अलावा 40 वर्ष बाद प्रोजैक्ट हस्तांतरण जरूरी है।
शिमला (कुलदीप): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी पावर प्रोजैक्टों में 12 फीसदी राॅयल्टी और 1 फीसदी लाडा राशि के अलावा 40 वर्ष बाद प्रोजैक्ट हस्तांतरण जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की नदियों में बहते पानी पर हमारा अधिकार है। ऐसे में सभी पावर प्रोजैक्टों पर 12, 18, 30 व 40 वर्ष का फार्मूला लागू होना चाहिए। मुख्यमंत्री यहां पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे।
मुख्यमंत्री सुक्खू कहा कि किशाऊ बांध का निर्माण कार्य तभी आगे बढ़ेगा, जब हरियाणा बीबीएमबी बकाया एरियर भुगतान करने संबंधी शपथ पत्र सुप्रीम कोर्ट में दायर करेगा। एरियर की इस राशि को नकद धनराशि या बिजली के रूप में हस्तांतरित करके लौटाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हरियाणा व दिल्ली को प्रोजैक्ट में 90:10 के अनुपात से राशि देने को तैयार है, लेकिन हिमाचल प्रदेश को पैदा होने वाली बिजली पर धनराशि देने की मांग की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह न्यायोचित नहीं है और इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार को वहन करना चाहिए। उन्होंने एसजेवीएनएल के नाथपा-झाकड़ी प्रोजैक्ट को 40 वर्ष बाद हिमाचल प्रदेश सरकार को हस्तांतरित करने और बीबीएमबी में 12 फीसदी बिजली रॉयल्टी के रूप में देने की मांग की। उन्होंने कहा कि रॉयल्टी देने का यह निर्णय केंद्र सरकार की नीति का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीबीएमबी.प्रोजैक्ट में 2800 से 2900 मैगावाट बिजली हिमाचल प्रदेश के बहते पानी से पैदा हो रही है, जिसकी भरपाई 12 फीसदी रॉयल्टी के रूप में होनी चाहिए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के अधिकारों के प्रति लोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है, क्योंकि प्रदेश कब तक शोषण को सहता रहेगा। यदि प्रदेश को पावर प्रोजैक्टों में उसका लाभ मिलता तो आज प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ विकास की तस्वीर कुछ और ही होती। उन्होंने कहा कि आज भी हिमाचल प्रदेश के बांध विस्थापितों को राजस्थान में अपना हक नहीं मिल रहा है। इसी तरह बिलासपुर में उजड़े लोगों को भी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।
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