हिमाचल में चीड़ की पत्तियों व बांस से किया जाएगा जैव ऊर्जा का उत्पादन : सुक्खू

Edited By Vijay, Updated: 04 Mar, 2023 10:04 PM

cm sukhvinder singh sukhu

हिमाचल प्रदेश में चीड़ की पत्तियों व बांस से जैव ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा। इसको लेकर प्रदेश सरकार जल्द ही एक पायलट आधार पर प्रोजैक्ट शुरू करेगी। इसके लिए राज्य सरकार उभरते जैव ऊर्जा क्षेत्र में नीतिगत सुझावों एवं अनुसंधान सहयोग को लेकर इंडियन...

शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में चीड़ की पत्तियों व बांस से जैव ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा। इसको लेकर प्रदेश सरकार जल्द ही एक पायलट आधार पर प्रोजैक्ट शुरू करेगी। इसके लिए राज्य सरकार उभरते जैव ऊर्जा क्षेत्र में नीतिगत सुझावों एवं अनुसंधान सहयोग को लेकर इंडियन स्कूल ऑफ बिजनैस (आईएसबी) के साथ समन्वय करेगी। यह बात मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सुक्खू ने शिमला में आईएसबी के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। इस परियोजना के माध्यम से स्थानीय स्तर पर लोगों की सहभागिता से उनकी आय में वृद्धि की जा सकेगी।

जीवाश्म ईंधन के विकल्पों की तलाशी जा रहीं सम्भावनाएं
सीएम ने कहा कि थर्मल पावर, सीमैंट और स्टील जैसे कई क्षेत्रों से उत्सर्जन कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन के विकल्पों की सम्भावनाएं तलाशी जा रही हैं, ऐसे में चीड़ की पत्तियों से बने ईंधन को सम्भावित विकल्प के रूप में शामिल किया जाएगा क्योंकि इसकी ऊष्मीय महत्व अधिक है। आईएसबी इस परियोजना के लिए एक व्यापार मॉडल और समुचित प्रौद्योगिकी प्रदान करेगा, जिसमें राज्य सरकार हरसंभव सहायता प्रदान करेगी, साथ ही आईएसबी उद्योग के लिए सहयोग एवं खरीददारों के माध्यम से उपयुक्त बाजार भी उपलब्ध करवाएगा। आईएसबी के कार्यकारी निदेशक प्रो. अश्वनी छत्रे और नीति निदेशक डाॅ. आरुषि जैन ने आईएसबी की परियोजनाओं के बारे में अवगत करवाया। बैठक में मुख्यमंत्री के सचिव अभिषेक जैन और ओएसडी गोपाल शर्मा भी उपस्थित थे। 

पैट्रोल में इथेनॉल की प्रतिशतता 10 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत की
सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2025 तक हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने पैट्रोल में इथेनॉल की प्रतिशतता 10 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत की है। आईएसबी बांस से इथेनॉल, कम्प्रैस्ड बायो गैस फर्टिलाइजर बनाने का काम भी करेगा। 

सामुदायिक वन स्वामित्व से मिलता है वनों के संरक्षण को प्रोत्साहन
सीएम सुक्खू ने कहा कि सामुदायिक वन स्वामित्व बृहद सामाजिक दायित्वों से जुड़ा है और इससे वनों के संरक्षण को और अधिक प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक मामलों के बेहतर प्रबंधन में मदद मिलती है, ऐसे में यह औद्योगिक भागीदारों और निजी निवेश को भी आकर्षित करेगा।

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