Edited By Kuldeep, Updated: 24 May, 2025 09:26 PM

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि यदि केंद्र की तरफ से राज्य को लंबित देय राशि समय पर जारी की जाती है, तो हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भर राज्य बन जाएगा।
शिमला (कुलदीप): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि यदि केंद्र की तरफ से राज्य को लंबित देय राशि समय पर जारी की जाती है, तो हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भर राज्य बन जाएगा। उन्होंने यह बात नई दिल्ली में नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काऊंसिल की बैठक को संबोधित करते हुए कही, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। बैठक में इस वर्ष विकसित भारत के लिए विकसित राज्य-2047 विषय पर चर्चा की गई, साथ ही विकास की राह में चुनौतियां तथा विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन चुनौतियों का सामना करने पर बल दिया गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पर्वतीय राज्यों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न योजनाओं की पात्रता में छूट देते हुए अधिक धनराशि आबंटित की जानी चाहिए।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश को देश के पर्यटन मानचित्र पर सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में लाने के लिए राज्य सरकार के विजन के बारे में जानकारी दी। प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए धार्मिक, ईको, जल, प्राकृतिक गतिविधि आधारित और स्वास्थ्य पर्यटन को विविध आयाम प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांगड़ा हवाई अड्डे पर बड़े विमानों के उतरने के लिए हवाई पट्टी का विस्तारीकरण किया जा रहा है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ-साथ पर्यटकों को भी सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की वन संपदा उत्तर भारत को प्राण वायु प्रदान करती है तथा देश के हरित आवरण को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य को ग्रीन बोनस मिलना चाहिए। प्रदेश सरकार ने हिमाचल को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। आगामी समय में हिमाचल देश के अग्रणी ग्रीन हाईड्रोजन उत्पादक राज्य के रूप में उभरेगा। जिला सोलन में राज्य सरकार ऑयल इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर 1 मैगावाट क्षमता का ग्रीन हाईड्रोजन संयंत्र स्थापित कर रही है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए तथा विभिन्न योजनाओं में पात्रता मानदंडों में ढील देते हुए धनराशि के अधिक आबंटन पर विचार किया जाना चाहिए। बैठक के दौरान उद्यमिता, कौशल विकास तथा सतत् रोजगार अवसरों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए विभिन्न पहलों पर भी विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने पावर प्रोजैक्ट से जुड़े विषयों को भी बैठक में उठाया।