Edited By Vijay, Updated: 13 Oct, 2023 11:06 PM

हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की बढ़ती घटनाओं का अध्ययन किया जाएगा क्योंकि राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा सरकार प्रदेश में सुरक्षित भवन निर्माण के दृष्टिगत विभिन्न उपायों पर चर्चा के...
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की बढ़ती घटनाओं का अध्ययन किया जाएगा क्योंकि राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा सरकार प्रदेश में सुरक्षित भवन निर्माण के दृष्टिगत विभिन्न उपायों पर चर्चा के साथ ही इन्हें अमल में लाने के लिए कड़े कानून बनाने पर विचार कर रही है। यह बात मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को शिमला में अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही। इस अवसर पर मुख्यमंत्री की उपस्थिति में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की और हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद (हिमकॉस्टे) के मध्य एक समझौता ज्ञापन भी हस्ताक्षरित किया गया। सीबीआरआई की ओर से एसके नेगी और हिमकॉस्टे की ओर से डीसी राणा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन के अनुसार सीबीआरआई हिमाचल में भवन निर्माण को लेकर शोध करेगा। इस मौके पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, प्रधान सचिव राजस्व ओंकार चंद शर्मा, विशेष सचिव डीसी राणा, नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र शर्मा, सीबीआरआई के वैज्ञानिक डाॅ. अजय चौरसिया सहित अन्य गण्यमान्य उपस्थित थे।
सीपीएस मामले में सरकार नहीं जाएगी सुप्रीम कोर्ट
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का सीपीएस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जाने का विचार नहीं है। यह मामला हाईकोर्ट में है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट जाने जैसी कोई बात नहीं है। शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि राजधानी शिमला में जल्द ही 6-7 क्षेत्र ग्रीन एरिया अधिसूचित किए जाएंगे। इसके तहत फागू से संजौली तक के क्षेत्र तथा सियोग जंगल के साथ लगते क्षेत्र को ग्रीन एरिया घोषित करने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि सियोग जंगल के ऊपर व नीचे के क्षेत्र में जो प्लाट हैं वहां पर भी निर्माण कार्य बैन किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिमला में कंस्ट्रक्शन पर पूरी तरह से बैन है। सुक्खू ने कहा कि नगर निगम क्षेत्रों व शहरों के अलावा अब अन्य क्षेत्रों में भी स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग प्लान अनिवार्य किया जाएगा। यानि भवन निर्माण से पहले इंजीनियर से प्लान बनाना आवश्यक होगा।
कर्ज के सहारे नहीं चल सकती सरकार
सुक्खू ने कहा कि प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है लेकिन सरकार केवल कर्ज के सहारे ही नहीं चल सकती। ऐसे में राज्य सरकार अपने आर्थिक संसाधन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले 4 वर्षों में हिमाचल को आत्मनिर्भर तथा 10 वर्षों में देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है।
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