Edited By Vijay, Updated: 27 Feb, 2022 06:43 PM
संस्कृत हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का आधार है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने तथा प्रचारित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को शिमला से संस्कृत भारती के क्षेत्रीय सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए...
शिमला/ज्वालामुखी (राक्टा/ब्यूरो): संस्कृत हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का आधार है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने तथा प्रचारित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को शिमला से संस्कृत भारती के क्षेत्रीय सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि संस्कृत प्राचीन भाषा है और विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है। भारत द्वारा दुनिया को दिया गया यह सबसे बड़ा उपहार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत को अब विश्व में सबसे प्राचीन साहित्य वाली भाषा के रूप में जाना जाता है। संस्कृत साहित्य का महासागर है और देव भाषा संस्कृत वेदों, शास्त्रों, काव्यों और अनेक ऐसे ज्ञानरूपी मोतियों का स्रोत है। जयराम ठाकुर ने कहा कि संस्कृत भाषायी, वर्ग, जाति, सम्प्रदाय और क्षेत्रीय विभाजन जैसे सामाजिक भेदों को दूर करने का सर्वोत्तम साधन है। उन्होंने कहा कि देश के हर क्षेत्र के लोग आसानी से संस्कृत से जुड़ सकते हैं और यह देश को एकजुट करने का सर्वोत्तम साधन है।
संस्कृत भाषा राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल को देवभूमि के रूप में जाना जाता है, ऐसे में देव वाणी संस्कृत प्रदेश के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस भाषा को इसका उचित स्थान प्रदान करने के लिए 2019 में राज्य सरकार ने संस्कृत भाषा को राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा बनाया गया है। संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सह-संगठन मंत्री जय प्रकाश गौतम ने कहा कि संस्कृत भाषा मानव द्वारा विकसित सबसे बेहतर, उत्तम और सक्षम साहित्यिक उपकरणों में से एक है। उन्होंने कहा कि वैदिक भाषा संस्कृत हजारों साल पहले से दुनिया की प्रारंभिक प्रमुख भाषाओं जैसे ग्रीक, हिब्रू और लैटिन आदि से पहले ही अस्तित्व में थी। संस्कृत भारती हिमाचल प्रदेश के प्रांत अध्यक्ष प्रो. लक्ष्मी निवास पांडे ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रांत संगठन मंत्री नरेंद्र, डाॅ. गिरिराज गौतम, हरीश पाठक, डाॅ. पुरुषोत्तम, ललित शर्मा व डाॅ. सत्य देव सहित अन्य उपस्थित थे।
शास्त्री अध्यापकों की मांगों पर होगा विचार
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शास्त्री अध्यापकों की उचित मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी। उन्होंने दैनिक वार्तालाप में सरल संस्कृत के उपयोग को प्रोत्साहित करके के लिए संस्कृत भारती के प्रयासों की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को यह भाषा सीखनी चाहिए ताकि वे अपनी समृद्ध संस्कृति और परम्परा पर गर्व महसूस कर सकें। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।
तीसरी कक्षा से शुरू होगी संस्कृत भाषा, पाठ्यक्रम निर्धारित
ज्वालामुखी संस्कृत भारती हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित प्रांत सम्मेलन के समापन के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वर्चुअल माध्यम से कहा कि संस्कृत भाषा के कार्यान्वयन के लिए सरकार तत्पर है। संस्कृत भाषा को तीसरी कक्षा से लागू किया गया है, जिसका पाठ्यक्रम भी निर्धारित कर दिया गया और अगले सत्र से संचालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती की अन्य जो मांगें शेष थीं उनके लिए बजट सत्र में विशेष प्रावधान किया जाएगा।
स्कूलों में भरे जा रहे शास्त्री अध्यापकों के पद : गाेविंद ठाकुर
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि संस्कृत भाषा एक दिव्य भाषा है, जो विश्व को विश्व बंधुत्व और सह-अस्तित्व की शिक्षा देती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार दैनिक जीवन में संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने और बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में शास्त्री अध्यापकों के अनेक पद भरे जा रहे हैं ताकि विद्यार्थी इस प्राचीन भाषा को सीख सकें। शिक्षा मंत्री सरकार संस्कृत के प्रति वचनबद्ध है। इसके क्रियान्वयन के लिए जो जो उचित हो सकता है, उसके लिए शीघ्र उचित प्रयास करेंगे।
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