Edited By Kuldeep, Updated: 07 Dec, 2024 09:32 PM
सरदार पटेल विश्वविद्यालय को कांग्रेस सरकार सिर्फ इसके नाम की वजह से बंद करना चाहती है। कांग्रेस को नेहरू गांधी परिवार के ही नाम से मतलब है। जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है तब से सिर्फ और सिर्फ एसपीयू को हर हाल में बंद करने का प्रयास कर रही...
मंडी (ब्यूरो): सरदार पटेल विश्वविद्यालय को कांग्रेस सरकार सिर्फ इसके नाम की वजह से बंद करना चाहती है। कांग्रेस को नेहरू गांधी परिवार के ही नाम से मतलब है। जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है तब से सिर्फ और सिर्फ एसपीयू को हर हाल में बंद करने का प्रयास कर रही है। जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने यह आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री को यह पता होना चाहिए कि जब कोई नया संस्थान खोला जाता है तो उसके विकास के लिए सरकार द्वारा विशेष प्रयास किए जाते हैं। जिससे वो संस्थान अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सके लेकिन सुक्खू सरकार इसके विपरीत काम कर रही है।
ये कांग्रेस के विकास विरोधी सोच के साथ-साथ प्रदेश के युवाओं के साथ भी धोखा है। प्रदेश में विश्वविद्यालय जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बड़ी बात है। दुनिया की सरकारें और उसके मुखिया चाहते हैं कि उनका नाम निर्माण करने, नए संस्थान खोलने नया इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए जाना जाए लेकिन हिमाचल प्रदेश में इकलौती सरकार है जिसके मुखिया चाहते हैं कि उनका नाम संस्थानों को बंद करने के लिए, बने बनाए इंफ्रास्ट्रक्चर को बर्बाद करने के लिए याद किया जाए। जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार ने मंडी विश्वविद्यालय के लिए केंद्र सरकार के बजट से बनाए गए भवन को भी निजी विद्यालय को दे दिया, जबकि उस भवन में विश्वविद्यालय के परीक्षा से जुड़े कामकाज संचालित हो रहे थे।
भवन छीनने के बाद सरकार ने मंडी विश्वविद्यालय के पीएम उषा (प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान) के तहत आबंटित की गई ग्रांट को भी डाइवर्ट कर दिया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सत्ता में आते ही सुक्खू सरकार ने सबसे पहले सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के दायरे को छोटा करने का प्रयास किया। मंडी विश्वविद्यालय में 5 जिलों मंडी, कांगड़ा, चम्बा, कुल्लू और लाहौल-स्पीति के कुल 146 कालेज संबद्ध थे। उसमें से कांगड़ा, चम्बा के साथ-साथ आनी और निरमंड के इलाकों के कालेज को छीन लिया गया। अब एस.पी.यू. से मात्र 46 कालेज संबद्ध हैं। सरकार ने प्रतिशोध की राजनीति में कांगड़ा और चम्बा के छात्रों और उनके अभिभावकों की समस्याओं को भी अनदेखा कर दिया। सरकार सुख की सरकार के नाम पर प्रदेश के लोगों को दुख देने के बजाय और सृजनात्मक राजनीति को बढ़ावा दे।