Kangra: छोटा भंगाल ने कई दफा देखा तबाही का तांडव, कांगड़ा व मंडी पलायन कर चुके 50 फीसदी लोग

Edited By Vijay, Updated: 07 Mar, 2025 11:46 AM

chota bhangal

हमेशा शांत बहने वाली छोटा भंगाल घाटी की ऊहल और लंबाडग नदियों ने कई दफा अपना रौद्र रूप दिखाकर घाटी में बर्बादी का तांडव दिखाया है। इतिहास गवाह है कि जब-जब इस घाटी में बारिश ने तांडव मचाया, तब-तब गांव वासियों के व्यापक जानमाल की हानि हुई है।

मुल्थान (बैजनाथ) (विकास बावा): हमेशा शांत बहने वाली छोटा भंगाल घाटी की ऊहल और लंबाडग नदियों ने कई दफा अपना रौद्र रूप दिखाकर घाटी में बर्बादी का तांडव दिखाया है। इतिहास गवाह है कि जब-जब इस घाटी में बारिश ने तांडव मचाया, तब-तब गांव वासियों के व्यापक जानमाल की हानि हुई है। बात बेशक 80 के दशक में ऊहल नदी के उद्गम स्थल पर झील फटने की हो, 1995 में पलाचक में बादल फटा हो या फिर बीते वर्ष निजी विद्युत प्रोजैक्ट का पैनस्टॉक फटा हो, इन तमाम घटनाओं ने कई दफा घाटी में बर्बादी की दास्तां लिखी है। यही वजह है कि घाटी की लगभग मुल्थान, लोहारड़ी, कोठीकोहड़, नलहोता, बड़ाग्रां, लुआई, छेरना, पोलिंग व रूलिंग पंचायतों के दर्जनों परिवार (लगभग 50 प्रतिशत लोग) पलायन कर मंडी और कांगड़ा जिलों में विस्थापित हो चुके हैं। 

जन्मभूमि से अटूट प्रेम, बाढ़ के खतरे के बावजूद नहीं छोड़ा गांव
वहीं बादलों की गर्जना, बाढ़ और नदियों की भयावहता से बेपरवाह सैंकड़ों परिवार घाटी को छोड़कर अन्यत्र नहीं गए, क्योंकि अपने जीवन और संपत्ति से कहीं अधिक अपनी जन्म और कर्म भूमि से बेतहाशा मोहब्बत करते हैं। इसी के साथ पशुधन को भी ये लोग अपने परिवार का ही सदस्य मानते हैं। लिहाजा उन्हें छोड़कर जाना मुनासिब नहीं समझते। यही वजह है कि पीढ़ी दर पीढ़ी ये तमाम परिवार इन गांवों में आज भी परंपरागत घरों में डेरा डाले हुए हैं। 20वीं सदी के तीसरे दशक में अंग्रेजी हुकूमत ने कर्नल बैटी के नेतृत्व में नदियों में बहने वाले पानी की ताकत को भांपकर शानन विद्युत प्रोजैक्ट का निर्माण किया था, जो आज भी पंजाब के बड़े हिस्से को विद्युत आपूर्ति मुहैया करवाता है। 

80 के दशक में पलायन कर चुके अधिकांश परिवार
80 के दशक में हुई तबाही की वजह से ही अधिकांश परिवार यहां से पलायन कर गए थे। उसके बाद प्लाचक में बादल फटने की वजह से जुलाई, 2001 को बकरकियाड़ा से लेकर मुल्तान तक भारी तबाही मची थी, जिसमें 2 लड़कियां और एक महिला बाढ़ में बह गई थीं। उसके बाद 18 सितम्बर, 2012 को प्लाचक के भृगुनाला में बारिश ने तांडव मचाया तो गुर्जरों की कई भैंसें भी बाढ़ की भेंट चढ़ गई थीं। बीते वर्ष 10 मई, 2024 को पैनस्टॉक फटने की वजह पूरे मुल्तान गांव में तबाही का मंजर देखने को मिला था। 

जो रह गए वो देवताओं के सहारे
बेशक इस घाटी की युवा पीढ़ी नौकरी पेशे के लिए क्षेत्र से पलायन कर गई हो लेकिन गांव के बुजुर्ग अपनी पुश्तैनी जमीन छोड़कर इसलिए नहीं जाना चाहते क्योंकि उनका मानना है कि वे इस मिट्टी के पुतले हैं और घाटी की ही मिट्टी में समा जाने की हसरत रखते हैं। यही वजह है कि गांव के बूढ़े बुजुर्ग आज भी शहरी क्षेत्र की बजाय अपने ग्रामीण घरों में ही खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। देव हुरंग नारायण, माता फुंगणी देवी व देव पशाकोट के प्रति प्रगाढ़ आस्था इनके जीवन के कठिन पलों को भी सुरक्षा कवच मुहैया करवाती है।

मुल्थान में ज्यादा नुक्सान की यह है वजह
छोटा भंगाल घाटी में बरसात कहीं भी बरसे, सबसे ज्यादा नुक्सान मुल्थान गांव में ही होता है। इस गांव के दोनों तरफ दोनों नदियां बहती हैं, जो बरसात या फिर बाढ़ के पानी के साथ भारी मात्रा में पत्थर और पेड़ आते हैं और गांव में तबाही मचाते हैं। यह वही गांव है जहां 60 के दशक से 15 अगस्त को आजादी का मेला लगातार लगाया जा रहा है। हालांकि संविधान में आजादी तो इन्हें मिल चुकी है लेकिन कुदरत के बार-बार के कहर से यह कब आजाद होंगे, यह भविष्य के गर्भ में है।

लोग बोले-अब तो बारिश की बूंदों से भी डर लगता है
घाटी में जीवन के 80 वर्ष देख चुकी तितली देवी ने बताया कि अरे साहब! आप जल प्रलय की बात करते हो, यहां तो पानी की चंद बूंदें आसमान से बरसती हैं तो जीवन में कई दफा भारी तबाही के मंजर दिलो दिमाग को हिला कर रख देते हैं। इसी तरह अंदलि मलाह के 85 वर्षीय भाग सिंह बताते हैं कि उनके कई रिश्तेदार और गांववासी बाढ़ की वजह से हुए कई बार नुक्सान झेलने में सक्षम नहीं रहे, लिहाजा वे यहां से पलायन कर चुके हैं और निचले क्षेत्रों में जाकर बस चुके हैं।
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here
हिमाचल प्रदेश की खबरें पढ़ने के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें Click Here

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!