Edited By Vijay, Updated: 22 Aug, 2025 12:33 PM

एम्स बिलासपुर में एमबीबीएस बैच-2025 की पहली काऊंसलिंग के दौरान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दस्तावेजों की जांच के दौरान एक महिला अभ्यर्थी की शैक्षणिक प्रमाणिकता पर सवाल खड़े हो गए।
बिलासपुर: एम्स बिलासपुर में एमबीबीएस बैच-2025 की पहली काऊंसलिंग के दौरान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दस्तावेजों की जांच के दौरान एक महिला अभ्यर्थी की शैक्षणिक प्रमाणिकता पर सवाल खड़े हो गए। जांच में सामने आया कि युवती ने काऊंसलिंग प्रक्रिया में शामिल होने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। मामले का खुलासा होते ही एम्स प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया और तत्काल पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी युवती की पहचान बिहार के लखीसराय जिले के वार्ड-28, नया बाजार स्थित कुशवाहा मार्कीट निवासी अंकिता भारती के रूप में हुई है। वह बतौर अभ्यर्थी दस्तावेज सत्यापन के लिए एम्स बिलासपुर पहुंची थी, लेकिन जब दस्तावेजों का गहराई से जांच-पड़ताल शुरू हुई तो पूरा मामला उजागर हो गया।
काऊंसलिंग के दौरान जब समिति ने अंकिता के दस्तावेजों का मिलान मेडिकल काउंसलिंग कमेटी की ओर से जारी 100 छात्रों की चयन सूची से किया, तो उसका नाम सूची में नहीं मिला। इससे समिति को शक हुआ। जांच के दौरान जब उससे नीट-यूजी रैंक की पुष्टि के लिए लॉगिन आईडी और पासवर्ड मांगा गया तो उसने पासवर्ड काम न करने का बहाना बनाया। जब काऊंसलिंग समिति ने स्कोर कार्ड मांगने पर उससे दस्तावेज लिया तो उसने एक बेहद धुंधला और अपठनीय स्कोर कार्ड दिया। इसके साथ ही उसने मोबाइल से लिए गए स्क्रीनशॉट भी दिखाए, जिसमें उसका पर्सेंटाइल 84 और अंक 590 दर्शाए जा रहे थे। हालांकि, जब समिति ने इस जानकारी की तुलना अन्य अभ्यर्थियों के विवरण से की तो गड़बड़ी सामने आने लगी। आखिरकार जब अधिकारिक वैबसाइट से उसका वास्तविक स्कोर कार्ड निकाला गया तो उसमें उसके अंक केवल 30 थे और ऑल इंडिया रैंक लगभग 20 लाख थी। यहीं से साफ हो गया कि काऊंसलिंग में प्रस्तुत किए गए दस्तावेज फर्जी हैं।
एम्स बिलासपुर प्रशासन ने तत्काल लिखित में इसकी शिकायत बिलासपुर के सदर थाना पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस ने अंकिता भारती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिव चौधरी ने बताया कि एफआईआर भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) के तहत दर्ज की गई है। प्राथमिक पूछताछ में अंकिता ने कबूल किया कि उसने रैंक कार्ड और प्रोविजनल अलॉटमैंट लेटर में गड़बड़ की थी। एम्स प्रशासन ने पूरे मामले का रिकॉर्ड पुलिस को सौंप दिया है। अब पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या इस फर्जीवाड़े में कोई और शामिल है और किस स्तर तक यह नैटवर्क फैला हुआ हो सकता है।