Edited By Vijay, Updated: 27 May, 2023 12:23 AM

पच्छाद उपमंडल की बागथन पंचायत के बघार पावरी गांव निवासी अग्निवीर पंकज चौहान शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। सैन्य सम्मान के साथ पैतृक गांव बघार पावरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। युवक के अचानक निधन से बागथन पंचायत में शोक की लहर है। दरअसल...
सराहां (नाहन) (आशु): पच्छाद उपमंडल की बागथन पंचायत के बघार पावरी गांव निवासी अग्निवीर पंकज चौहान शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। सैन्य सम्मान के साथ पैतृक गांव बघार पावरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। युवक के अचानक निधन से बागथन पंचायत में शोक की लहर है। दरअसल अग्निवीर सैनिक को नाहन फस्र्ट पैरा यूनिट की टीम ने सैन्य सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया। नम आंखों के बीच इस होनहार बेटे को परिजनों सहित क्षेत्रवासियों ने अंतिम विदाई दी। छोटे भाई विनीत चौहान ने अग्निवीर पंकज चौहान को मुखाग्नि दी। सिरमौर प्रशासन की तरफ से पच्छाद के नायब तहसीलदार अश्वनी कुमार, कानूनगो सुरेश कुमार के अलावा भूतपूर्व सैनिक एकता मंच की तरफ से लाल चंद, नरेंद्र कुमार, संजीव कुमार, एएसआई मोती लाल ने अग्निवीर पंकज चौहान को श्रद्धांजलि अर्पित की।
क्षेत्र के सैंकड़ों लोग पंकज चौहान को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंचे। हर कोई युवक के अचानक निधन से स्तब्ध होने के साथ-साथ गमगीन दिखाई दिया। लोगों का दर्द आंसुओं के रूप में छलका। वहीं दिवंगत पंकज की पार्थिव देह देखने के बाद से ही पिता सतपाल सिंह, माता रीना देवी व भाई विनीत चौहान के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इससे पूर्व शुक्रवार सुबह हवाई मार्ग से पंकज चौहान की पार्थिव देह चंडीगढ़ पहुंचाई गई। यहां से सड़क मार्ग से सेना के वाहन में पार्थिव देह को उनके पैतृक गांव बघार पावरी पहुंचाया गया।
बता दें कि अग्निवीर पंकज चौहान का जबलपुर ट्रेनिंग सैंटर में साइलैंट हार्ट अटैक के चलते 2 दिन पहले निधन हो गया था। बुधवार रात को परिजनों को उनके बेटे के निधन की सूचना दी गई थी। इसके बाद से ही परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। गौरतलब है कि 9 मार्च, 2004 को जन्मे पंकज ने 28 फरवरी 2023 को जबलपुर में अग्निवीर के दूसरे बैच में प्रशिक्षण शुरू किया था। इसी बीच बुधवार रात परिवार को सूचना मिली थी कि 2-3 दिन से उनके बेटे पंकज की तबीयत ठीक नहीं थी और अचानक ही छाती में दर्द उठने से उसका निधन हो गया। दिवंगत पंकज के पिता सतपाल सिंह खेतीबाड़ी करते हैं जबकि मां रीना देवी गृहिणी हैं।
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