Edited By Vijay, Updated: 31 Aug, 2022 09:55 PM
आबकारी एवं कराधान विभाग ने जिले की एक फर्म को जाली बिलों के फर्जीवाड़े में 9.47 करोड़ का टैक्स और जुर्माना किया है। संयुक्त आयुक्त (नॉर्थ जोन) राकेश कुमार भारतीय ने बताया कि फर्म को लेकर और भी जांच चल रही है।
ऊना (सुरेन्द्र): आबकारी एवं कराधान विभाग ने जिले की एक फर्म को जाली बिलों के फर्जीवाड़े में 9.47 करोड़ का टैक्स और जुर्माना किया है। संयुक्त आयुक्त (नॉर्थ जोन) राकेश कुमार भारतीय ने बताया कि फर्म को लेकर और भी जांच चल रही है। एक्साइज विभाग के अधिकारी पूरे मामले की जांच कर रहे हैं और आने वाले समय में कुछ और कार्रवाई भी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि डीजीजीआई चंडीगढ़ ने इस मामले में तथ्य आबकारी एवं कराधान विभाग से सांझा किए थे। यह मामला सैंटर जीएसटी डिवीजन ने पकड़ा था और इस मामले में दिल्ली में 3 सीए पहले ही पकड़े जा चुके हैं।
173 करोड़ रुपए फर्जीवाड़े का मामला
पूरा मामला करीब 173 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े का है। दिल्ली में भी 31 फर्में पंजीकृत हुई थीं, जो केवल दस्तावेजों में ही माल सप्लाई करती थीं। यानी हकीकत में माल भेजने की बजाय बिलों पर ही सारा फर्जीवाड़ा होता था। इसी के आधार पर इनपुट क्रैडिट भी क्लेम किया जाता था, जबकि जीएसटी की अदायगी नहीं की जाती थी। भारतीय ने बताया कि गुड्ज एंड सर्विस टैक्स इंटैलीजैंट्स महानिदेशालय से मिले इनपुट के आधार पर नॉर्थ जोन में जांच की गई तो पाया गया कि जिले की एक फर्म को जाली बिल दिए गए हैं। पिछले एक वर्ष से यह जांच चल रही थी। मामला पकड़ में आने के बाद फर्म ने 50 लाख रुपए जमा भी करवाए थे, लेकिन उसके बाद की राशि को लेकर विभाग लगातार कार्रवाई को आगे बढ़ा रहा था।
दस्तावेजों में ही दर्शाई गई सप्लाई
संयुक्त आयुक्त (नॉर्थ जोन) राकेश कुमार भारतीय ने बताया कि दिल्ली से मिली जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश को करीब 26 करोड़ की चपत इस फर्जीवाड़े से लगी है। नॉर्थ जोन के तहत ऊना में जो फर्जीवाड़े के तहत सप्लाई हुई है, उसमें 5.89 करोड़ रुपए का मामला है। यह सारी सप्लाई स्क्रैप और सरिए की दर्शाई गई है जबकि हकीकत में सप्लाई देने की बजाय दस्तावेजों में ही यह की गई है। उन्होंने बताया कि 5.80 करोड़ रुपए में से 3.82 करोड़ रुपए की सप्लाई जिस फर्म के तहत की गई दर्शाई गई है, उसे पहले ही अथॉरिटी ने फर्म की रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया है, ऐसे में फर्म ने जो आईटीसी कलेम किया था, वह रद्द हो गया है। ऐसे में फर्म को मूल राशि और उस पर जुर्माना देना होगा। अब ऊना की इस फर्म से रिकवरी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसी प्रकार जीएसटी नियमों के तहत इस फर्म के खिलाफ आगामी कार्रवाई भी होगी।
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