Kangra: शिव‌ मंदिर बैजनाथ में 7 पुजारियों ने 9 घंटों में तैयार किया घृतमंडल

Edited By Vijay, Updated: 14 Jan, 2025 04:21 PM

7 priests prepared ghee mandal in 9 hours in shiva temple baijnath

ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में मकर सक्रांति पर घृतमंडल पर्व मंगलवार को धूमधाम से शुरू हो गया। यह घृतमंडल 21 जनवरी सुबह 4 बजे तक बना रहेगा।

पपरोला: ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में मकर सक्रांति पर घृतमंडल पर्व मंगलवार को धूमधाम से शुरू हो गया। यह घृतमंडल 21 जनवरी सुबह 4 बजे तक बना रहेगा। इस‌‌ बार‌ करीब 2.5 क्विंटल देसी घी व सूखे मेवों से इसे तैयार किया गया है। मंगलवार को ओष्डोउपचार पूजा के बाद 11 बजे 7 पुजारियों ने घृत को‌ बनाने का काम शुरू किया और लगभग 9 घंटों में इसका निर्माण कार्य पूरा किया। इसके अलावा मुकुट नाथ संसाल, पल्लीकेश्वर महादेव, महाकाल मंदिर व पूठे चरण बैजनाथ में भी घृतमंडल बनाए गए हैं। घृत बनाने कांगड़ा से आए पुजारी प्रभात, दिव्यांशु सहित बैजनाथ मंदिर के पुजारी धमेंद्र शर्मा, मंतेश, संजय शर्मा, राकेश पाधा ने घृत बनाया जबकि ट्रस्टी मुनीष शर्मा, घनश्याम अवस्थी, सचिन अवस्थी, व्योमेश नंदा, मनोज सुग्गा ने अपना सहयोग दिया। घृत पर्व को लेकर बैजनाथ के तहसीलदार व मंदिर अधिकारी रमन ठाकुर ने व्यवस्थाएं देखीं। उन्होंने बताया कि शिव मंदिर के रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया है।

20 जनवरी तक भोले बाबा के दर्शन‌ कर सकते‌ हैं श्रद्धालु 
बैजनाथ मंदिर में व्यवस्था देख रहे एसडीएम देवी चंद ठाकुर व तहसीलदार रमन ठाकुर ने बताया कि इस‌ पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए प्रशासन द्वारा पूरी व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि श्रद्धालु 20 जनवरी तक पावन पिंडी पर बने घृतमंडल के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर के पुजारी धर्मेंद्र शर्मा‌ व सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि घृत को‌ सुंदर ढंग से सजाया गया है। उन्होंने बताया कि 21 जनवरी को मक्खन रूपी घृत को प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा। मान्यता है कि यह मक्खन रूपी घृत चर्म रोगों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होता है।

मंडी के राजा भीमसेन से जुड़ी है शिवलिंग पर मक्खन के लेप की‌‌ प्रथा 
बताते हैं कि मंडी के राजा भीमसेन द्वारा मंडी स्थित भूतनाथ मंदिर में स्थापित करने के‌ उद्देश्य से पावन‌‌ पिंडी‌ को उखाड़ने की कुचेष्ठा की‌‌ गई थी, लेकिन मां गौरी सहित भोलेनाथ ने दर्शन देकर चेताया था कि इस शिवलिंग को उखाड़ने की चेष्ठा न करें,‌ वरना‌ सर्वनाश हो जाएगा। मंडी के राजा भीमसेन ने अपनी भूल को सुधारने के लिए शिवलिंग पर घृत बनाने की‌ प्रथा शुरू की थी‌, यह परंपरा आज भी कायम है।
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