सत्ता में कांग्रेस रहे या बीजेपी, बाबाओं की हमेशा चलती है

Edited By Punjab Kesari, Updated: 05 Sep, 2017 11:55 AM

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सिरसा के राम रहीम का का पाखंडी चेहरा सामने आने के बाद देश भर में कई धार्मिक संस्थाओं के खिलाफ नए खुलासे हो रहे हैं। देवभूमि हिमाचल में भी बाबाओं का असर हैरान कर देने वाला है।

शिमला: सिरसा के राम रहीम का का पाखंडी चेहरा सामने आने के बाद देश भर में कई धार्मिक संस्थाओं के खिलाफ नए खुलासे हो रहे हैं। देवभूमि हिमाचल में भी बाबाओं का असर हैरान कर देने वाला है। यहां सरकार चाहे भाजपा की हो या फिर कांग्रेस की, बाबाओं का सिक्का हर सरकार में एक समान चलता आया है। दरअसल एक ताजा विवाद राधास्वामी सत्संग ब्यास की तरफ से सैंकड़ों बीघा जमीन हासिल करने के बाद अब सरकार से उसे बेचने की इजाजत मांगी जा रही है। वहीं बाबा रामदेव को मामूली राशि पर अमूल्य भूमि लीज पर देने का मामला भी काफी चर्चा में रहा। दरअसल रामदेव को सोलन जिला के साधुपुल में भाजपा सरकार के समय बेहद कम रेट पर लीज पर भूमि दी गई थी। हालांकि कांग्रेस सरकार ने उस लीज को कैंसिल कर दिया था। खास बात तो यह है कि अब राज्य सरकार ने बाबा को फिर से लीज पर जमीन देने का फैसला किया है। आइए आपको बताते हैं हिमाचल की सरकारों पर बाबाओं का असर। 
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हिमाचल में राधास्वामी के कई स्थानों पर डेरे
हिमाचल में राधास्वामी सत्संग ब्यास के कई स्थानों पर डेरे हैं। इनके पास हिमाचल में 6000 बीघा लैंड होल्डिंग है। खास बात यह है कि डेरा ने ये जमीन श्रद्धालुओं से दान के तौर पर हासिल की है। यह भी कह सकते हैं कि डेरा को ये जमीन भक्तों ने दान में दी है। अब ब्यास डेरा ने हिमाचल की वीरभद्र सरकार को एक आवेदन भेजा गया है। डेरा का कहना है कि उनके पास काफी जमीन हो गई है, लिहाजा इस जमीन को बेचने की मंजूरी दी जाए। बताया जा रहा है कि मंगलवार 5 सितंबर की कैबिनेट की मीटिंग में इस आवेदन पर चर्चा हो सकती है। हिमाचल में बाहरी राज्य का कोई भी व्यक्ति और गैर कृषक जमीन नहीं खरीद सकता। अगर उन्हें जमीन खरीदनी भी है तो पहले उनको सरकार से इजाजत लेनी पड़ेगी। हिमाचल में 10 हजार बीघा जमीन पर धार्मिक गुरुओं की संस्थाओं का कब्जा है। अकेले राधास्वामी सत्संग ब्यास के पास 6 हजार बीघा जमीन है।
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धूमल सरकार ने दिखाई थी डेरा ब्यास पर कृपा
राज्य में पिछली भाजपा सरकार के समय प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे। उनके कार्यकाल में डेरा ब्यास पर कृपा दिखाई थी। उन्होंने लैंड सीलिंग एक्ट 1972 में सशर्त संशोधन किया था। उस संशोधन के जरिए राधास्वामी ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट से बाहर कर दिया था। इस एक्ट का मतलब है कि किसी के पास भी 150 बीघा से अधिक जमीन नहीं हो सकती। लैंड सीलिंग एक्ट से इस समय हिमाचल में दो कैटेगरी बाहर हैं। एक चाय बागान और दूसरी राधास्वामी सत्संग ब्यास।  


पहले भाजपा सरकार और अब कांग्रेस सरकार की बारी
डेरा ब्यास पर पहले भाजपा सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट से उन्हें बाहर करने की कृपा दिखाई। अब लगता है कि कांग्रेस भी उसी काम को करने जा रही है। ब्यास डेरा ने वीरभद्र सरकार को पत्र लिखकर जमीन बेचने की इजाजत मांगी है। यदि इजाजत मिलती है तो डेरा ब्यास एक ही झटके में अरबों रुपए की जमीन बेचने का हकदार हो जाएगा।  


हिमाचल में कुछ धार्मिक संस्थाएं कृषक की कैटेगरी में डाली
डीपी सूद की अध्यक्षता वाले आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भूमि सुधार कानून 1953 व लैंड सीलिंग एक्ट 1972 के जरिए हिमाचल में जमींदारी प्रथा को खत्म किया गया था, लेकिन धर्मगुरुओं को इनसे बाहर करने पर वे नए किस्म के जमींदार बन गए हैं। आयोग की रिपोर्ट अप्रैल 2012 में आई थी। यहां हिमाचल में कुछ धार्मिक संस्थाएं कृषक की कैटेगरी में डाली गई हैं। लिहाजा इन्हें हिमाचल में जमीन लेने के लिए धारा-118 के तहत सरकार के पास आवेदन नहीं करना पड़ता। 


करोड़पति का 25 हजार का इलाज खर्च वीरभद्र सरकार ने भरा
सोलन जिला के विवादास्पद बाबा अमरदेव का नया किस्सा जुड़ा है। बाबा पर झगड़ा-फसाद करने और एक महिला पर तलवार से वार करने का मामला है। ये विवादास्पद बाबा कहता है कि उसके पास 25 करोड़ रुपए की मूर्तियां हैं, लेकिन उसने शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में इलाज के दौरान आए 25 हजार रुपए नहीं भरे। 


वीरभद्र सरकार में बाबा का इस कदर असर है कि उन्होंने उनके इलाज के लिए 
25 हजार रुपए का बिल भर दिया। बाबा का प्रदेश की सरकारों पर असर इस कदर है कि बाबा पर कार्रवाई करने पर कंडाघाट पुलिस स्टेशन के 18 कर्मचारी तुरत-फुरत में ट्रांसफर किए गए थे।  

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