Edited By Jyoti M, Updated: 31 Jul, 2025 09:34 AM

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई उपमंडल की एक दुर्गम पंचायत क्यारी गुंडाहां से इंसानियत और साहस की एक अनोखी कहानी सामने आई है। इस कहानी ने हर किसी का दिल छू लिया है और यह साबित कर दिया है कि सच्ची सेवा और आस्था के आगे कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई उपमंडल की एक दुर्गम पंचायत क्यारी गुंडाहां से इंसानियत और साहस की एक अनोखी कहानी सामने आई है। इस कहानी ने हर किसी का दिल छू लिया है और यह साबित कर दिया है कि सच्ची सेवा और आस्था के आगे कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती।
जानकारी के अनुसार, गांव के ही एक किसान की गाय गंभीर रूप से बीमार हो गई थी। गाय की हालत हर बीतते दिन के साथ बिगड़ती जा रही थी, और उसे तुरंत इलाज की ज़रूरत थी। लेकिन गांव से एकमात्र पशु चिकित्सालय 3 किलोमीटर दूर था। बीते दिनों हुई भारी बारिश के कारण यह पहाड़ी रास्ता पूरी तरह से टूट चुका था। जगह-जगह मलबा और फिसलन थी, जिससे किसी भी वाहन का वहां तक पहुंचना नामुमकिन था। गांव वाले निराश हो चुके थे, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि अब गाय को बचाना संभव नहीं है।
ऐसे मुश्किल समय में गांव के ही दो बहादुर व्यक्ति, दया राम और लाल सिंह, आगे आए। उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया जिसने सबको चौंका दिया। उन्होंने तय किया कि वे गाय को अपनी पीठ पर लादकर 3 किलोमीटर दूर अस्पताल तक पहुंचाएंगे। यह फैसला सिर्फ़ शारीरिक ताकत का नहीं, बल्कि अटूट साहस और गहरी आस्था का प्रतीक था। गाय का वज़न 2 क्विंटल से भी ज़्यादा था, लेकिन दोनों ने हार नहीं मानी। उन्होंने रस्सियों की मदद से गाय को सावधानी से अपनी पीठ पर बांधा और अपनी जान जोखिम में डालकर उस मुश्किल रास्ते पर निकल पड़े।
बारिश में भीगी हुई फिसलन भरी पगडंडियों पर हर कदम पर खतरा था। ज़रा सी चूक किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती थी, लेकिन उनका एक ही लक्ष्य था: ''गौ माता को बचाना''। घंटों तक चले इस संघर्ष के बाद, जब वे अस्पताल पहुंचे और गाय को समय पर इलाज मिला, तो पूरा गांव भावुक हो गया। समय पर इलाज मिलने से गाय की जान बच गई और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है।
इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और लोग दया राम और लाल सिंह की इस निस्वार्थ सेवा की सराहना कर रहे हैं। पंचायत प्रधान ने बताया कि यह इलाका सिरमौर का बहुत ही दुर्गम क्षेत्र है, और ऐसे हालात में इन दोनों का साहस और सेवाभाव सराहनीय है। दया राम ने इस घटना के बाद कहा, "गौ माता हमारी देवी है। उसकी जान बचाना कोई उपकार नहीं, यह हमारा फ़र्ज़ था।" यह कहानी हमें सिखाती है कि इंसानियत और साहस के सामने कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।