Edited By Vijay, Updated: 17 Sep, 2023 10:07 PM

मंडी जिला के उपमंडल गोहर के तहत सरोआ के जालपा माता के मंदिर में सायर मेला शुरू हो गया, जिसमें अखरोट की बारिश की गई। माता जालपा मंदिर में जोभली-जोभली का मतलब अखरोट की बौछार का किसानों की फसल की वृद्धि की कामना करना और मंदिर में आए माता के भक्तों को...
गोहर (ब्यूरो): मंडी जिला के उपमंडल गोहर के तहत सरोआ के जालपा माता के मंदिर में सायर मेला शुरू हो गया, जिसमें अखरोट की बारिश की गई। माता जालपा मंदिर में जोभली-जोभली का मतलब अखरोट की बौछार का किसानों की फसल की वृद्धि की कामना करना और मंदिर में आए माता के भक्तों को बतौर प्रसाद के रूप में अखरोट बांटना है। गोहर के जालपा माता मंदिर में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। मंदिर के गूर मुरारी लाल और पुजारी यशपाल शर्मा ने मंदिर में चढ़कर देवी जालपा के दर्शनों के लिए मंदिर पहुंचे सैंकड़ों श्रद्धालुओं पर अखरोट की बरसात की।
बता दें कि एक माह बाद सायर उत्सव की पावन बेला पर कमरूघाटी के बंद पड़े मंदिरों के कपाट रविवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ खोले गए तथा कमरूघाटी में सायर उत्सव धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने परिवार की खुशहाली और दीर्घायु के लिए अखरोट के साथ दूब चढ़ाई। रविवार को घाटी के अन्य मंदिरों के कपाट भी खुले, जहां लोगों ने अपने ईष्ट देवताओं की पूजा की और मक्की, खीरा और अखरोट चढ़ाए। इसके अलावा देवताओं के कपाट खुलते ही गूरों ने देवी-देवताओं की पिंडियों और मूर्तियों पर देसी घी चढ़ाया। बड़ा देव कमरूनाग, देव बाला कामेश्वर, शिल्हि लटोगली, माता मधोगन्न शिव शक्ति गौरा, संतोषी माता, लम्बोदरी माता समेत घाटी के अन्य मंदिरों में सायर पर्व पर श्रद्धालुओं ने माथा टेका।
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