Edited By Vijay, Updated: 20 May, 2025 01:08 PM

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे दृष्टिबाधित बेरोजगारों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। मंगलवार सुबह राजधानी में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब दृष्टिबाधित संगठन के दर्जनों सदस्य सचिवालय के समीप सड़क पर बैठ गए और चक्का...
शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे दृष्टिबाधित बेरोजगारों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। मंगलवार सुबह राजधानी में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब दृष्टिबाधित संगठन के दर्जनों सदस्य सचिवालय के समीप सड़क पर बैठ गए और चक्का जाम कर दिया। इस प्रदर्शन के कारण छोटा शिमला और सचिवालय मार्ग पर यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। केवल एकतरफा वाहन ही किसी तरह गुजर पाए।
दृष्टिबाधित संघ के अध्यक्ष शोभू राम ने बताया कि सरकार पिछले करीब दो वर्षों से उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है। हम 581 दिन से संघर्ष कर रहे हैं, कई बार सरकार ने बैठक के लिए बुलाया, लेकिन सिर्फ आश्वासन दिए गए, कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। अब हमारे पास आंदोलन तेज करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है।
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मांगों का मुख्य बिंदु दृष्टिबाधित कोटे के तहत विभिन्न विभागों में खाली पड़े बैकलॉग पदों को एकमुश्त भरने को लेकर है। संघ के सचिव राजेश ठाकुर ने बताया कि सरकार से कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन आज तक एक भी पद पर नियुक्ति नहीं हुई है। हमें कहा गया था कि 15 मई तक मुख्य सचिव के साथ बैठक कर समस्या का समाधान निकाला जाएगा, लेकिन वह बैठक भी नहीं हो पाई।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि जब वे सड़क जाम करते हैं तभी सरकार जागती है। दृष्टिबाधितों ने पुलिस पर भी दुर्व्यवहार के आरोप लगाए हुए कहा कि हमें तंग किया जाता है, आंदोलन स्थल से हटाने की कोशिश की जाती है, लेकिन जब तक मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव स्वयं हमसे बात नहीं करते, हम पीछे नहीं हटेंगे। बता दें कि दृष्टिबाधित संघ पहले कालीबाड़ी मंदिर के पास धरना दे रहा था, लेकिन 27 मार्च से सचिवालय के समीप छोटा शिमला बस स्टॉप पर डटा हुआ है। संघ की मांगें विकलांगों के अधिकारों का सम्मान करना और आरक्षित कोटे की भर्तियों को तुरंत प्रभाव से पूरा करना हैं।
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