बिजली बोर्ड में ट्रांसफर माफिया सक्रिय, संगठन के लैटर पैड पर हो रहे तबादले : कुलदीप खरवाड़ा

Edited By Vijay, Updated: 10 Sep, 2021 10:15 PM

transfer mafia active in electricity board

बिजली बोर्ड में ट्रांसफर माफिया पूरी तरह सक्रिय है, ऐसे में बोर्ड कर्मचारियों व अधिकारियों में आए दिन ट्रांसफर होने का डर बन रहता है। हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रीसिटी बोर्ड इम्प्लाइज यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने आरोप लगाया कि...

शिमला (राजेश): बिजली बोर्ड में ट्रांसफर माफिया पूरी तरह सक्रिय है, ऐसे में बोर्ड कर्मचारियों व अधिकारियों में आए दिन ट्रांसफर होने का डर बन रहता है। हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रीसिटी बोर्ड इम्प्लाइज यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने आरोप लगाया कि श्रेणी बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा बिजली बोर्ड में संगठन के नाम पर कर्मचारियों का तबादला उद्योग चलाया हुआ है, जिससे बोर्ड के कर्मचारियों में भय का महौल व भारी रोष है। उन्होंने कहा कि यह कर्मचारी अपने संगठन के पत्र पैड पर प्रदेश सरकार के सामने गलत तथ्य पेश कर मुख्यमंत्री कार्यालय से स्थानांतर अनुमोदन कर तबादला करवाते हैं, जिसमें प्रबंधन वर्ग भी इनके साथ खड़ा है।

तबादला माफिया पर तुरंत अंकुश लगाएं मुख्यमंत्री

उन्होंने कहा कि यूनियन अधिकतर राज्य पदाधिकारियों के साथ-साथ इकाई स्तर के पदाधिकारियों को इस तरह से प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है। इससे कर्मचारियों में भारी रोष है और कहीं न कहीं सरकार की छवी भी काफी हद तक खराब हो रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि बिजली बोर्ड में पनप रहे इस तबादला माफिया पर तुरंत अंकुश लगाएं और कहा कि यह लोग बिजली बोर्ड के कर्मचारियों के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री की छवी खराब करने में लगे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से इन अनुमोदन को लागू न करने बारे बिजली बोर्ड में तुरंत आदेश जारी करने का आग्रह भी किया।  

मुख्यमंत्री के अनुमोदन पर हुआ पूर्व प्रधान देवेंद्र कुमार का तबादला आदेश

यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि शुक्रवार को यूनियन के मुख्यालय इकाई के पूर्व प्रधान देवेंद्र कुमार का तबादला आदेश मुख्यमंत्री के अनुमोदन पर बिलासपुर से शिमला के लिए जारी हुआ लेकिन बोर्ड प्रबंधन द्वारा तबादला माफिया के सिफारिश पर इस स्थानांतरण आदेश पर स्थगन आदेश जारी करवा दिया है, जिससे कर्मचारियों में भारी रोष है। यदि प्रबंधन वर्ग इन गतिविधियों पर जल्दी रोक नहीं लगाएगा तो यूनियन बड़े आंदोलन करने पर मजबूर होगी, जिसकी जिम्मेदारी सरकार व प्रबंधन की होगी।

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