Edited By Jyoti M, Updated: 13 Aug, 2025 12:57 PM

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में कीरतपुर-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम चल रहा है, लेकिन इसका खामियाजा क्षेत्र के पांच गाँवों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इस परियोजना के कारण जमीन खिसकने और भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है, जिसके चलते कम से...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में कीरतपुर-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम चल रहा है, लेकिन इसका खामियाजा क्षेत्र के पांच गाँवों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इस परियोजना के कारण जमीन खिसकने और भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है, जिसके चलते कम से कम नौ परिवारों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है। बलीचौकी उपमंडल के तनीपरी, शाला नाल, जाला नाल, तन्हुल और थलौट गाँव के लोग आज डर के साये में जी रहे हैं। कभी शांत और हरे-भरे रहने वाले इन गाँवों में अब सिर्फ घरों और खेतों में दरारें ही दिखाई देती हैं।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने तीन साल पहले जब यह काम शुरू किया था, तो उन्होंने पहाड़ों की कटाई में वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया। इसके चलते जमीन कमजोर हो गई है और थोड़ी सी बारिश होने पर मिट्टी खिसकने लगती है। ग्रामीणों ने कई बार इस बारे में अपनी चिंता जताई थी, लेकिन उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। स्थानीय निवासी ने बताया, "जब से हाईवे का काम शुरू हुआ है, हमारे घरों में दरारें आने लगी हैं। पहाड़ियों को सीधा काटा गया है, जबकि हमने इसका विरोध भी किया था।" उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों से जमीन लगातार धंस रही है और इससे उनके घर और खेत दोनों को नुकसान हो रहा है।
पिछले सोमवार को तानीपरी गाँव में स्थिति और भी गंभीर हो गई, जब हाईवे सुरंग के ऊपर स्थित गाँव के किनारे तक भूस्खलन पहुंच गया। इससे नौ परिवारों के 28 सदस्यों को अपना घर तुरंत छोड़कर जाना पड़ा। ये सभी परिवार अब बेघर हैं और मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि NHAI को इस नुकसान की भरपाई करनी चाहिए और उन्हें उचित मुआवजा देना चाहिए।
बालीचौकी के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट देवी सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की है कि हाईवे के चौड़ीकरण का काम ही भूस्खलन का मुख्य कारण है। उन्होंने बताया कि उन्होंने NHAI से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए रिटेनिंग दीवारें बनाने को कहा है। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि NHAI की लापरवाही के चलते यह स्थिति पैदा हुई है और अब तक उन्हें कोई ठोस मदद नहीं मिली है। इन पाँचों गाँवों के ज्यादातर घर हाईवे के किनारे बने हुए हैं, इसलिए सड़क चौड़ीकरण का सीधा असर इन्हीं पर पड़ा है। यह घटना दिखाती है कि विकास परियोजनाओं को करते समय पर्यावरण और स्थानीय लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखना कितना जरूरी है, वरना ऐसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।