Edited By Jyoti M, Updated: 28 Jul, 2025 04:57 PM

हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर लगे सेब के पेड़ों को काटने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने प्रदेश में सेब के पेड़ों के कटान पर तत्काल रोक लगा दी है, जिससे हजारों फलदार पेड़ों को कटने से बचा लिया गया है।...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर लगे सेब के पेड़ों को काटने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने प्रदेश में सेब के पेड़ों के कटान पर तत्काल रोक लगा दी है, जिससे हजारों फलदार पेड़ों को कटने से बचा लिया गया है। यह फैसला राज्य के सेब उत्पादकों और पर्यावरण प्रेमियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।
क्या था मामला?
दरअसल, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वन भूमि पर अवैध रूप से लगाए गए सेब के पेड़ों को काटने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद ऊपरी शिमला के कई इलाकों, खासकर कोटखाई के चैथला और कुमारसैन के बड़ागांव में वन विभाग द्वारा सेब के पेड़ों का बड़े पैमाने पर कटान किया जा रहा था। रिपोर्टों के अनुसार, हाईकोर्ट के आदेश पर अब तक लगभग 4500 सेब के पौधे काटे जा चुके थे। कुल मिलाकर, करीब 3800 बीघा वन भूमि में लगे पेड़ों को काटने का निर्देश था।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती और ऐतिहासिक फैसला
हाईकोर्ट के इस फैसले को शिमला के पूर्व उपमहापौर टिकेंद्र सिंह पंवर और एक अन्य व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि फलों से लदे पेड़ों को काटना न केवल आर्थिक रूप से नुकसानदायक है बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी सही नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष चंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रभावी ढंग से पैरवी की।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि सेब के पेड़ों को नहीं काटा जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वन भूमि पर लगे इन सेब के पेड़ों की देखरेख अब राज्य सरकार करेगी। इसके साथ ही, कोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि सरकारी भूमि पर कब्जा कर लगाए गए इन पेड़ों से होने वाले फलों की नीलामी कर राजस्व अर्जित किया जाए। यह कदम जहां एक ओर पेड़ों को बचाएगा, वहीं दूसरी ओर सरकार के लिए आय का एक नया स्रोत भी बनेगा।
सरकार ने भी किया था विरोध
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और राज्य के अन्य मंत्री भी हाईकोर्ट के इस निर्णय के विरुद्ध आवाज उठा रहे थे और उन्होंने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप भी आया है।
इस फैसले के बाद, अब फलों से लदे सेब के पेड़ों को काटने की चल रही प्रक्रिया पूरी तरह से रुक जाएगी। यह न केवल उन हजारों किसानों के लिए एक बड़ी जीत है जिनकी आजीविका इन पेड़ों पर निर्भर करती है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश की हरी-भरी प्राकृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।