M/s Adani Power Ltd. के 280 करोड़ रुपए ब्याज सहित लौटाने से जुड़े मामले में प्रदेश हाईकोर्ट से राज्य सरकार को राहत

Edited By Vijay, Updated: 18 Jul, 2024 10:54 PM

state government got relief from state high court

मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड के 280 करोड़ रुपए ब्याज सहित लौटाने से जुड़े मामले में प्रदेश हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है।

शिमला (मनोहर): मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड के 280 करोड़ रुपए ब्याज सहित लौटाने से जुड़े मामले में प्रदेश हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने सरकार की अपील को मंजूर करते हुए अदानी ग्रुप की याचिका सहित अपील को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि राज्य सरकार और अदानी के बीच कोई वैध संबंध नहीं है। इसलिए अदानी द्वारा राज्य सरकार के विरुद्ध धारा 70 के प्रावधानों के अनुसार मुआवजे का कोई दावा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि फाइलों पर टिप्पणियों को चुनिंदा रूप से पढ़ने और रिकॉर्ड पर अन्य प्रासंगिक सामग्री की अनदेखी के आधार पर अदानी द्वारा धनवापसी का दावा पुख्ता नहीं है। इस मुद्दे पर कानूनी स्थिति पहले से ही स्पष्ट है कि फाइल पर दर्ज एक नोट महज एक नोटिंग को सरल बनाने वाला है।

यह केवल किसी व्यक्ति विशेष की राय की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी कोई कानूनी मान्यता नहीं है। उसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इस मामले में सरकार की ओर से महाधिवक्ता अनूप रत्न ने पैरवी करते हुए कहा था कि मूलतः करार ब्रेकल और सरकार के बीच हुआ था इसलिए अदानी द्वारा अपफ्रंट राशि को वापिस मांगने की मांग ही मान्य नहीं रखती। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा किए गए 280 करोड़ रुपए की राशि वापिस करने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने गत 12 अप्रैल 2022 को जारी फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह 4 सितम्बर, 2015 को कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में यह राशि वापस करे। एकल पीठ ने यह आदेश मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर पारित किए थे और यह आदेश भी दिए थे कि यदि सरकार यह राशि दो माह के भीतर प्रार्थी कंपनी को वापिस करने में विफल रहती है तो उसे 9 फीसदी सालाना ब्याज सहित यह राशि अदा करनी होगी। 12 अप्रैल को पारित इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी।

कंपनी ने विशेष सचिव (विद्युत) के 7 दिसम्बर, 2017 को जारी पत्राचार को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी। कोर्ट ने कंपनी की याचिका को स्वीकारते हुए 7 दिसम्बर 2017 को जारी आदेश को रद्द करते हुए एकल पीठ ने कहा था कि जब कैबिनेट ने 4 सितम्बर, 2015 को, प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद, स्वयं ही यह राशि वापस करने का निर्णय लिया था तो समझ में नहीं आता कि अपने ही निर्णय की समीक्षा करने का निर्णय किस आधार पर लिया गया। खंडपीठ ने एकल पीठ के निर्णय को न्याय संगत न पाते हुए रद्द कर दिया। साथ ही अदानी द्वारा दायर अपील को भी खारिज कर दिया जिसके तहत राशि जमा करवाने की तारीख से 12 फीसदी ब्याज दिए जाने की गुहार लगाई गई थी।
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