Solan: नौणी विश्वविद्यालय ने फसल प्रबंधन के लिए जारी की एडवाइजरी, किसानों के लिए खास सुझाव

Edited By Kuldeep, Updated: 18 Dec, 2024 07:03 PM

solan nauni university crop management advisory

डा. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी ने राज्य में चल रहे शुष्क मौसम में फसल प्रबंधन के लिए किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। राज्य में पिछले अढ़ाई महीने से सामान्य से 97 फीसदी कम बारिश हुई है।

सोलन (ब्यूरो): डा. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी ने राज्य में चल रहे शुष्क मौसम में फसल प्रबंधन के लिए किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। राज्य में पिछले अढ़ाई महीने से सामान्य से 97 फीसदी कम बारिश हुई है। सोलन जिले में भी अक्तूबर और नवम्बर में काफी कम बारिश हुई है। परिणामस्वरूप मिट्टी में नमी की कमी से कृषि गतिविधियां प्रभावित हो गई हैं। रबी मौसम के लिए पत्ता गोभी, फूलगोभी, मटर, प्याज, लहसुन और अन्य रूट फसलें शामिल हैं। इन फसलों के विकास के महत्वपूर्ण चरणों के दौरान पर्याप्त मृदा की नमी की आवश्यकता होती है। वर्षा की कमी इन फसलों की पैदावार को प्रभावित करती है, जिसके संभावित परिणाम जल्दी फूल आना, फली का आकार छोटा होना और मटर की पैदावार में कमी हो सकती है। अपर्याप्त मिट्टी की नमी भी फलों के पौधों को नुक्सान पहुंचा सकती है, जिससे जड़ों का विकास रुक जाता है और वे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।

यह कार्य करें किसान
पानी की कमी से निपटने के प्रति लचीलापन बनाने के लिए किसानों को मोनो-क्रॉपिंग से परहेज करना चाहिए। फलों की खेती और पशुधन को एकीकृत करते हुए बहु-उद्यम खेती अपनाने पर विचार करना चाहिए। इससे साल के इस समय के दौरान अक्सर होने वाली पानी की कमी के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा किसानों को अप्रत्याशित मौसम स्थितियों के प्रति अपना लचीलापन बढ़ाने के लिए फल आधारित कृषि वानिकी मॉडल स्थापित करने पर जोर देना चाहिए।

सूखा सहिष्णु फसल किस्में
गेहूं की खेती के लिए किसानों को सूखा प्रतिरोधी व देर से बोई जाने वाली किस्मों जैसे एचपीडब्ल्यू.-155 और एच.पी.डब्ल्यू.-368 का चयन करना चाहिए। जिन किसानों ने पहले ही गेहूं की बुआई कर दी है, उन्हें क्राऊन रूट इनिशिएशन चरण में जीवन रक्षक सिंचाई प्रदान करनी चाहिए।

प्याज की रोपाई में देरी करें
सूखे की स्थिति का सामना करने वाले क्षेत्रों में किसानों को दिसम्बर के आखिरी सप्ताह तक प्याज की रोपाई में देरी करने की सलाह दी है। जिन किसानों ने पहले से ही प्याज, लहसुन, रेपसीड, सरसों, तोरिया और मसूर जैसी फसलें लगा रखी हैं, उन्हें विकास के महत्वपूर्ण चरणों में जीवन रक्षक सिंचाई प्रदान करनी चाहिए।

जल कुशल सब्जियां चुनें
पानी बचाने के लिए किसानों को कम पानी की आवश्यकता वाली सब्जियों की फसलें लगाने पर विचार करना चाहिए जैसे मूली, शलजम, पालक और चुकंदर। इन फसलों का उपयोग फलों के बगीचे या कृषि वानिकी प्रणालियों में अंतर फसल के रूप में भी किया जा सकता है।

एंटी ट्रांसपेरैंट्स का उपयोग करें
बड़े खेतों में जहां मल्चिंग या सिंचाई संभव नहीं है, एंटी-ट्रांसपेरैंट्स के माध्यम से पानी के नुक्सान को कम करने और पौधों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एंटी-ट्रांसपेरैंट्स के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। रबी फसलों की समय पर बुआई और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए किसानों को कृषि सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। खेत में वर्षा जल संचयन संरचनाओं को स्थापित करने से सूखे के दौरान जीवन रक्षक सिंचाई प्रदान की जा सकती है

तौलिया बनाने और उर्वरक प्रयोग से बचें
नौणी विवि ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस शुष्क अवधि के दौरान तौलिए बनाने का कार्य नहीं करना चाहिए और खेतों में उर्वरक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसकी बजाय नमी को संरक्षित करने के लिए मल्च का उपयोग किया जाना चाहिए।

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