Edited By Kuldeep, Updated: 25 Jul, 2025 06:31 PM

भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में प्रदेश के वीर सपूत हमेशा आगे रहे हैं। कारगिल युद्ध में भी हिमाचल के जवानों का बड़ा योगदान रहा है।
कुठाड़ (मदन): भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में प्रदेश के वीर सपूत हमेशा आगे रहे हैं। कारगिल युद्ध में भी हिमाचल के जवानों का बड़ा योगदान रहा है। कारगिल युद्ध में प्रदेश के 52 जवानों ने अपने प्राण न्यौछावर किए थे। इनमें कृष्णगढ़ उप तहसील की ग्राम पंचायत बुघार कनैता के सिपाही धर्मेंद्र सिंह पुत्र नरपत राम भी शामिल थे। शहीद के पिता ने बताया कि धर्मेंद्र मात्र 20 वर्ष की उम्र में ही देश सेवा करते हुए कारगिल युद्ध में 30 जून, 1999 को शहीद हो गए थे। उनका बेटा 3-पंजाब बटालियन में सिपाही था। उस समय पंजाब रैजीमैंट के नायक कुलदीप सिंह व अन्य जवान शहीद की पार्थिव देय घर छोड़ने आए थे। उस समय उन्होंने बताया था कि बटालिक सैक्टर 3 पंजाब रैजीमैंट में घुसपैठियों ने धावा बोला था, इसी दौरान एक गोली धर्मेंद्र की छाती में लगी थी।
उन्होंने कहा कि शहीद धर्मेंद्र के नाम पर की गई कुछ घोषणाएं आज तक पूरी नहीं हो सकी हैं। हालांकि घुमारवीं में उनके नाम का पैट्रोल पंप और स्थानीय विद्यालय का नाम उनके नाम पर है। लेकिन उनके पैतृक गांव बुघार कनैतां में आयुर्वैदिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने और भाट की हट्टी कुठाड़ संपर्क मार्ग का नाम शहीद के नाम पर रखने की घोषणा पूर्ण नहीं हो सकी है। सरकार कोई भी रही हो उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं। उनका परिवार सैनिक पृष्ठभूमि वाला है। 4 बेटों में सबसे बड़े बेटे धर्मेंद्र की शहादत के बाद उनका दूसरा बेटा जोगिंदर सिंह भी सेना में भर्ती हो गया था वह भी 18 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होकर घर आ गया है।
शहीद धर्मेंद्र राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दुर्गापुर धारड़ी में शहीद का स्टैच्यू उनके परिवार द्वारा स्थापित किया गया है। कृष्णगढ़ क्रिकेट क्लब द्वारा हर वर्ष शहीद की याद में क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन कर उनके परिजनों को भी सम्मानित किया जाता है। शहीद का परिवार व स्कूल प्रशासन मिलकर हर वर्ष उनका जन्मदिन भी मनाता है। शहीद के परिजनों ने एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह व स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल से बुघार में आयुर्वैदिक डिस्पैंसरी खोलने की मांग की है।