आचार्य देवव्रत का हिमाचल के गांवों को प्राकृतिक खेती का मॉडल बनाने का आह्वान

Edited By Kuldeep, Updated: 19 Oct, 2020 08:47 PM

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गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने युवा कृषकों का आह्वान किया कि वे हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक गांव को प्राकृतिक खेती का ऐसा मॉडल बनाएं जो पूरे देश के लिए आदर्श बने।

सोलन (ब्यूरो): गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने युवा कृषकों का आह्वान किया कि वे हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक गांव को प्राकृतिक खेती का ऐसा मॉडल बनाएं जो पूरे देश के लिए आदर्श बने। आचार्य देवव्रत सोमवार को सोलन जिला के बड़ोग में राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती युवा किसान कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल सरकार के सहयोग से उन्होंने प्रदेश में किसानों-बागवानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया था उसका लाभ अब सभी महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को पूरे देश में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के आदर्श के रूप में जाना जाता है।

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उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने अतुलनीय पर्यावरण प्रदान किया है। यहां किसानों को सब्जी, फल तथा तिलहन के उत्पादन की ओर ध्यान देना चाहिए। आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के रूप में प्राकृतिक खेती को व्यापक बढ़ावा दिया गया और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती को मिशन मोड के रूप में अपनाया गया। उन्होंने कहा कि वे सभी किसानों को प्राकृतिक खेती के व्यवहारिक रूप की जानकारी प्रदान करते हैं। कुरुक्षेत्र में उनकी 200 एकड़ कृषि योग्य भूमि पर गेहूं की फसल 33 क्विंटल प्रति एकड़ होती है जबकि रासायनिक खेती में यह मात्र 22 क्विंटल प्रति एकड़ है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में जल का उपयोग काफी कम होता है, इसका उत्पाद लम्बे समय तक ठीक रहता है और यह भूमि की प्राकृतिक उर्वरा शक्ति बनाए रखने एवं मनुष्य तथा जानवरों के लिए सर्वथा सुरक्षित है।

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इस मौके पर हिमाचल प्रदेश के कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सरकार हिमाचल को पहला प्राकृतिक खेती राज्य बनाने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 25 करोड़ रुपए व्यय किए जा रहे हैं। ऊना जिला में 47 करोड़ रुपए की लागत से उत्कृष्ट केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इसमें भारतीय नस्ल की रैड सिंधी, साहीवाल एवं थार पारकर नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान एवं अन्य कार्य किए जाएंगे। प्रदेश में पहाड़ी नस्ल की गाय की अच्छी नस्ल तैयार करने के लिए कार्य किया जा रहा है। इस गाय को ‘गौरी’ ब्रांड नाम दिया गया है। इस कार्य के लिए 10 करोड़ रुपए की परियोजना को भारत सरकार से सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा गौकुल ग्राम भी स्वीकृत किया गया है।

इस अवसर पर बिलासपुर जिला के युवा किसान विचित्र सिंह, चम्बा जिला की कृषक सरिता, कांगड़ा जिला के किसान विक्रम, किन्नौर जिला के कृषक रामशरण रोही, हमीरपुर जिला के किसान ललित कालिया, कुल्लू जिला के कृषक हीरा पाल, लाहौल-स्पीति जिला के स्पीति की कृषक याशा डोलमा, मंडी जिला के किसान संजय कुमार, शिमला जिला की कृषक सुषमा चौहान, सिरमौर जिला के कृषक देवेंद्र चौहान, सोलन जिला की किसान अनीता देवी और ऊना जिला के कृषक अनुभव ने प्राकृतिक खेती के अपने विचार सभी से सांझा किए। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त सोलन अनुराग चंद्र शर्मा, आतमा परियोजना के उपनिदेशक रविंद्र सिंह, अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी एवं किसान-बागवान उपस्थित थे। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को नालागढ़ के प्राकृतिक एवं प्रगतिशील किसान अनुभव बंसल अपने प्राकृतिक खेती उत्पाद भेंट करते हुए।

 

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