Edited By Jyoti M, Updated: 19 Jun, 2025 11:09 AM

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के संगड़ाह उपमंडल का नाम एक बार फिर गर्व से ऊंचा हुआ है। यहां के लाना पालर गांव के रहने वाले जितेंद्र दत्त शर्मा ने 14 जून, 2025 को भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून से सफलतापूर्वक पासआउट होकर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के संगड़ाह उपमंडल का नाम एक बार फिर गर्व से ऊंचा हुआ है। यहां के लाना पालर गांव के रहने वाले जितेंद्र दत्त शर्मा ने 14 जून, 2025 को भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून से सफलतापूर्वक पासआउट होकर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पदभार संभाल लिया है। उनकी इस उपलब्धि से न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा क्षेत्र खुशी से झूम उठा है।
जितेंद्र के लिए यह सफर आसान नहीं रहा। उनके पिता, रामलाल शर्मा, स्वयं भारतीय सेना में सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, और उनकी माता, शीला शर्मा, एक गृहिणी हैं। बेटे के बचपन के सपने को साकार होते देख परिवार बेहद भावुक और गौरवान्वित महसूस कर रहा है। जितेंद्र ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए देश सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया।
जितेंद्र बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे हैं। उनकी मेहनत और लगन का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2021 में, कोरोना महामारी के दौरान, उन्होंने एक निबंध लेखन प्रतियोगिता में जिला और प्रदेश स्तर पर पहला स्थान हासिल किया था, जिसके लिए उन्हें 1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि भी मिली थी। इसके बाद, साल 2024 में, उन्होंने एनआईटी हमीरपुर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की।
बीटेक पूरा करने के बाद जितेंद्र के सामने दो रास्ते थे - एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में आकर्षक नौकरी का प्रस्ताव और दूसरा भारतीय सेना में शामिल होने का अवसर। लेकिन उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के अपने फौजी पिता की राह चुनी और देश सेवा को प्राथमिकता दी। यह उनके दृढ़ संकल्प और देश प्रेम का ही प्रमाण है।
अब, लेफ्टिनेंट के तौर पर जितेंद्र 3 गोरखा राइफल्स में अपनी सेवाएं देंगे। उनके परिवार में उनकी बड़ी बहन, डॉ. रूचि शर्मा, जो वेटरनरी साइंस में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, और बड़े भाई, भूपेंद्र दत्त शर्मा, जो हिमाचल पुलिस में कार्यरत हैं, भी हैं। जितेंद्र की इस शानदार सफलता पर पूरे क्षेत्र में जश्न का माहौल है और सोशल मीडिया पर उन्हें लगातार बधाइयां मिल रही हैं। लाना पालर गांव के इस वीर सपूत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और लगन से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।