Edited By Kuldeep, Updated: 14 Jul, 2025 09:31 PM
राज्य में धीमा पड़ा मानसून फिर से सक्रिय हो गया है और मंगलवार को 3 जिलों शिमला, सोलन व सिरमौर में भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरैंज अलर्ट जारी किया गया है।
शिमला (संतोष): राज्य में धीमा पड़ा मानसून फिर से सक्रिय हो गया है और मंगलवार को 3 जिलों शिमला, सोलन व सिरमौर में भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरैंज अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि 20 जुलाई तक प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है। सोमवार को जुब्बड़हट्टी, धर्मशाला, कुफरी में खूब बारिश हुई। जुब्बड़हट्टी में सबसे अधिक 54, धर्मशाला में 16, कुफरी में 11.5 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई है, जबकि राजधानी शिमला व सुंदरनगर में 7-7 मिलीमीटर वर्षा हुई है। मौसम विभाग की चेतावनी के मुताबिक आगामी कुछ दिनों में भूस्खलन, नदियों का जलस्तर बढ़ने और सड़कों के अवरुद्ध होने की घटनाएं और बढ़ सकती हैं। गिरी जाटों डैम का जलस्तर बढ़ने के कारण डैम का गेट खोला गया, जिससे गिरी और यमुना नदियों का जलस्तर भी बढ़ा है। सिरमौर जिला प्रशासन ने मैदानी क्षेत्रों के लिए अलर्ट जारी कर दिया है। मौसम विभाग ने नदियों के किनारे और डैम के आसपास रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।
मौसम विभाग ने राज्य में 20 जुलाई तक भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है, जिसके चलते आगामी कुछ दिनों के लिए कई जिलों में ऑरैंज तो कई जिलों में भारी बारिश का यैले अलर्ट रहेगा। मंगलवार को शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए ऑरैंज तो बिलासपुर, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी जिलों में भारी वर्षा का यैलो अलर्ट रहेगा। बुधवार को ऊना, चम्बा, कांगड़ा, मंडी और शिमला जिलों में भी भारी वर्षा का यैलो अलर्ट रहेगा। गुरुवार को ऊना, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी व सिरमौर जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है, जबकि 18 जुलाई को चंबा, कांगड़ा व कुल्लू में भारी बारिश का यैलो अलर्ट जारी रहेगा। विभाग के अनुसार 20 जुलाई तक राज्य में भारी बारिश की स्थिति बनी रहेगी, जिससे जनजीवन प्रभावित होने की आशंका है।
बारिश की वजह से हो रहे भूस्खलन से प्रदेश का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक सोमवार शाम तक हिमाचल में 192 संपर्क मार्ग भूस्खलन से बंद हैं, जबकि सभी नैशनल हाईवे यातायात के लिए खुले हैं। 65 बिजली ट्रांसफार्मर और 745 पेयजल योजनाएं भी ठप्प पड़ी हैं, जिन्हें दुरुस्त बनाने में विभागीय कर्मी व मशीनरी जुटी हुई है। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां अकेले 146 संपर्क मार्ग बंद हैं, 59 ट्रांसफार्मर ठप्प हैं और 133 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। कांगड़ा में भी 612 पेयजल योजनाएं पिछले कुछ दिनों से ठप्प हैं।
मानसून सीजन के दौरान अब तक प्रदेश में विभिन्न घटनाओं में 105 लोगों की मौत हो चुकी हैं, 35 लोग लापता हैं और 184 लोग घायल हुए हैं। सबसे अधिक 21 मौतें मंडी जिले में हुई हैं, जबकि कांगड़ा में 17, कुल्लू में 11, चंबा में 9, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में 8-8 मौतें दर्ज की गई हैं। इन हादसों से 1046 मकान आंशिक या पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, 188 दुकानें और 798 गौशालाएं तबाह हो चुकी हैं। सिर्फ मंडी जिले में ही 856 घर, 166 दुकानें और 644 गौशालाएं प्रभावित हुई हैं। 30 जून की रात मंडी में बादल फटने की 12 घटनाओं ने भारी तबाही मचाई थी। आपदाओं ने सिर्फ मानवीय जीवन और संपत्ति ही नहीं, अपितु कृषि और पशुपालन को भी गहरा नुक्सान पहुंचाया है।
मानसून में अब तक 21,500 पोल्ट्री पक्षियों और 954 अन्य पशुओं की मौत हो चुकी है। इस अवधि में बादल फटने की 22, फ्लैश फ्लड की 31 और भूस्खलन की 18 घटनाएं रिकार्ड की गई है। प्रदेश सरकार के आकलन के मुताबिक मानसून की वजह से राज्य को अब तक करीब 786 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुक्सान हो चुका है। इसमें सबसे अधिक नुक्सान जल शक्ति विभाग को हुआ है, जिसे 414 करोड़ रुपए की क्षति पहुंची है, जबकि लोक निर्माण विभाग को 345 करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है।