Shimla: रैजीडैंट डाक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अड़े, IGMC में किया प्रदर्शन

Edited By Kuldeep, Updated: 27 Dec, 2025 09:15 PM

shimla resident doctors strike

आईजीएमसी में डाक्टर-मरीज मामले में डाक्टर की बर्खास्तगी को रद्द करने की मांग को लेकर डाक्टरों ने शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है और इससे स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं और राज्यभर में मरीज खासे परेशान हो गए हैं।

शिमला (संतोष): आईजीएमसी में डाक्टर-मरीज मामले में डाक्टर की बर्खास्तगी को रद्द करने की मांग को लेकर डाक्टरों ने शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है और इससे स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं और राज्यभर में मरीज खासे परेशान हो गए हैं। शनिवार को डाक्टरों ने आईजीएमसी में एकत्रित होकर प्रदर्शन किया। रैजीडैंट डाक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. सोहेल शर्मा ने कहा कि जब तक डाक्टर का टर्मिनेशन बहाल नहीं होता, हड़ताल जारी रहेगी। साथ ही अस्पतालों में डाक्टरों की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाए जाएं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री से बातचीत और निष्पक्ष जांच के आश्वासन के बावजूद उनकी मुख्य मांग पूरी नहीं हुई, इसलिए आंदोलन जारी रहेगा।

बता दें कि रैजीडैंट डाक्टर एसोसिएशन ने स्वयं दावा किया था कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सभी मांगें मानने का आश्वासन दिया है, लेकिन बावजूद इसके डाक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय ले लिया, जिसका खमियाजा राज्य के मरीज व आम लोग भुगत रहे हैं। आरडीए के समर्थन में हिमाचल मैडीकल ऑफिसर एसोसिएशन (एचएमओए) और स्टेट एसोसिएशन ऑफ मैडीकल एंड डैंटल कॉलेज टीचर्स (सैमडिकोट) भी आ गई हैं, जिन्होंने ओपीडी सेवाएं बंद रखीं।

मरीजों की परेशानी को देखते हुए एसओपी हुई जारी
इस बीच मैडीकल एजुकेशन एवं रिसर्च डिपार्टमैंट ने स्टैंडर्ड ऑप्रेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी की है। इनमें कहा गया कि आरडीए की हड़ताल के दौरान मैडीकल कालेजों और अस्पतालों में इलाज व पढ़ाई बाधित नहीं होनी चाहिए, जबकि आपातकालीन स्थिति में ऑप्रेशन चलते रहेंगे। डीएमईआर ने सभी सरकारी मैडीकल कालेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों के लिए कड़े एसओपी जारी किए हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि हड़ताल के बावजूद जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी हालत में बाधित नहीं होंगी और लापरवाही पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसओपी में कहा गया है कि प्रदेश के सभी मैडीकल कालेजों और अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं पहले की तरह 24 घंटे और सातों दिन जारी रहेंगी। एमरजैंसी में तैनात जूनियर रैजीडैंट, सीनियर रैजीडैंट और फैकल्टी सदस्य हर समय उपलब्ध रहेंगे। इसके अलावा ओपीडी सेवाएं भी नियमित रूप से चलेंगी और इंडोर मरीजों को प्राथमिकता दी जाएगी। वार्ड राऊंड रोजाना अनिवार्य रूप से किए जाएंगे, ताकि भर्ती मरीजों के इलाज में कोई कमी न आए।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि हड़ताल की अवधि में नियमित वैकल्पिक ओटी बंद रहेंगे, लेकिन सभी आपातकालीन सर्जरी तय प्रोटोकॉल के अनुसार की जाएंगी। रैडियोलॉजी सेवाओं में एक्स-रे, अल्ट्रासाऊंड, सीटी स्कैन, एमआरआई जैसी जांचें एमरजैंसी और भर्ती मरीजों के लिए प्राथमिकता के आधार पर जारी रहेंगी। वहीं पैथोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री और माइक्रोबायोलॉजी लैब में सभी सैंपलों की जांच बिना किसी रुकावट के की जाएगी। सभी विभागाध्यक्षों को ओपीडी, आईपीडी और एमरजैंसी सेवाओं के लिए कंसल्टैंट डाक्टरों की ड्यूटी रोस्टर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। मैडीकल कालेजों के प्राचार्य रोजाना शाम 4 बजे एमएस और सभी एचओडी के साथ बैठक कर सेवाओं की समीक्षा करेंगे और इसकी रिपोर्ट डीएमईआर को भेजेंगे। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर फैकल्टी की शीतकालीन छुट्टियां रद्द करने का भी अधिकार प्राचार्यों को दिया गया है।

मुख्यमंत्री के शिमला पहुंचते ही सुलझा लिया जाएगा मामला : शांडिल
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कर्नल डा. धनी राम शांडिल ने कहा कि डाक्टरों को हड़ताल नहीं करनी चाहिए थी और क्षमा याचना करने से मामले को सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली से वापस शिमला लौटेंगे तो मामले को सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को रैजीडैंट डाक्टर मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए आए थे तो उस दिन डाक्टर राघव निरूला को अपनी गलती के लिए माफी मांग लेनी चाहिए थी। यदि डाक्टर माफी मांग लेते तो इस तरह की स्थिति पैदा नहीं होती। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से सख्त आदेश दिए गए हैं कि आपातकालीन सर्विस किसी भी तरह बाधित न हो। डाक्टरों का हड़ताल पर जाना गलत है। डॉक्टरों की हड़ताल दबाव बनाने की कोशिश है।

मुख्यमंत्री ने दिया मिलने का समय, फैसले को रिव्यू करने को भी कहा, बावजूद इसके डाक्टरों का हड़ताल पर जाने का फैसला उनका अपना : नरेश
मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार मीडिया नरेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने डाक्टरों को विशेष रूप से मिलने का समय दिया, जिसके चलते वह बिलासपुर व दिल्ली के लिए भी लेट हो गए। मुख्यमंत्री ने डाक्टरों की मांगों को माना था और फैसले को रिव्यू करने को बोला था और कहा था कि वापस लौटने के बाद इस बारे में बात की जाएगी, लेकिन बावजूद इसके डाक्टर हड़ताल पर चले गए, जो उनका निजी फैसला है।

अस्पताल को न बनाएं राजनीति का अखाड़ा : देशबंधु
सिटीजन राइट्स प्रोटैक्शन फोरम के पूर्व अध्यक्ष देशबंधु सूद ने कहा कि आईजीएमसी के प्रकरण पर सत्ता व विपक्ष के नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेेंकने में लग गए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में 2004 में पीआईएल नंबर सीडब्ल्यूपी 310 में जो न्यायालय ने आदेश पारित किए हैं, उसे आम जनता के हित में लागू करें और इस अस्पताल को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं, कानूनन इसे ऐसी एजैंसी को सौंप दिया जाए, जो निष्पक्ष जांच करके दोषी को सजा दिलाए।

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