Shimla: गृह निर्माण के लिए विधवाओं को मिलेगी 4 लाख की सहायता

Edited By Kuldeep, Updated: 20 Nov, 2024 06:23 PM

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भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत सभी पात्र महिलाओं को मकान बनाने के लिए 4 लाख रुपए की वित्तीय सहायता मिलेगी। यह बात मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कही।

शिमला (संतोष): भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत सभी पात्र महिलाओं को मकान बनाने के लिए 4 लाख रुपए की वित्तीय सहायता मिलेगी। यह बात मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विधवाओं व दिव्यांग महिलाओं और एकल नारियों को उनके मकान बनाने के सपने को साकार करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने को पहल कर रही है। उन्होंने कहा कि भवन एवं सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड विवाह के लिए वित्तीय सहायता, मातृत्व लाभ, शिक्षा सहायता, चिकित्सा देखभाल, पैंशन, विकलांगता पैंशन, दाह संस्कार व्यय, आकस्मिक मृत्यु के लिए राहत, छात्रावास सुविधाएं और विधवा पैंशन सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं लागू कर रहा है।

उन्होंने कहा कि मकान निर्माण के लिए वित्तीय सहायता में गृह निर्माण के लिए 3 लाख रुपए और रसोई, शौचालय तथा स्नानघर जैसी आवश्यक सुविधाओं के निर्माण के लिए एक लाख रुपए की अतिरिक्त सहायता शामिल होगी। इसका लाभ उठाने के लिए महिलाओं को बोर्ड में पंजीकृत होना चाहिए और पिछले 12 महीनों में कम से कम 90 कार्य दिवस पूरे करने चाहिए और उनकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपए से कम होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पात्र महिलाओं को आवश्यक दस्तावेजों सहित श्रम अधिकारी के माध्यम से इस योजना के लिए आवेदन करना होगा। स्वीकृति मिलने के उपरांत वित्तीय सहायता सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी जाएगी।

बच्चों की उच्च शिक्षा के खर्च के लिए बना रही नई योजना
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार पिछले 2 वर्षों से समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कार्य कर रही है तथा उनके कल्याण के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ विभिन्न योजनाएं कार्यक्रम लागू किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधवाओं के 27 वर्ष तक के बच्चों की उच्च शिक्षा के खर्च के लिए एक नई योजना पर कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल अनाथ बच्चों के लिए व्यापक देखभाल और सहायता सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बना है। उन्होंने कहा कि इस पहल के तहत 6,000 अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया है तथा सरकार उनके कल्याण और शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल सके।

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