Shimla: होटलों और विशेष वाणिज्यिक परियोजनाओं को 14 मंजिला भवनों के निर्माण की अनुमति की अधिसूचना पर रोक

Edited By Kuldeep, Updated: 03 Dec, 2024 09:10 PM

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने होटलों और विशेष वाणिज्यिक परियोजनाओं को अधिकतम 14 मंजिला भवनों के निर्माण की अनुमति देने से जुड़ी अधिसूचना पर फिलहाल रोक लगा दी है।

शिमला (मनोहर): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने होटलों और विशेष वाणिज्यिक परियोजनाओं को अधिकतम 14 मंजिला भवनों के निर्माण की अनुमति देने से जुड़ी अधिसूचना पर फिलहाल रोक लगा दी है। टीसीपी विभाग ने 18 नवंबर को इस बारे हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन (तेरहवां संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जनहित से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए।

टीसीपी विभाग द्वारा जारी नए नियमों के अनुसार पर्यटन इकाइयों सहित अन्य वाणिज्यिक इमारतों और संवर्धित फर्श क्षेत्र अनुपात (एफएआर) प्रावधानों के तहत, 4,001 वर्ग मीटर और 10,000 वर्ग मीटर के बीच के भू-खंडों पर 13 मंजिलें और 10,000 वर्ग मीटर से अधिक के भू-खंडों पर 14 मंजिलें बनाई जा सकती हैं।

इसी के साथ केंद्रीय व्यापारिक जिलों और फोरलेन, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों सहित पारगमन-उन्मुख विकास गलियारों के लिए एफएआर प्रावधानों के मामले में 4,001 वर्ग मीटर से 10,000 वर्ग मीटर के भूखंडों पर 18 जबकि 10,001 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंडों पर 20 मंजिल तक की इमारतें बनाई जा सकती हैं। सरकार द्वारा बनाई गई इमारतों सहित इन ऊंची इमारतों को बनाने की अनुमति कई शर्तों के साथ आती है, जैसे मैदानी इलाकों में 15 डिग्री से कम और पहाड़ी इलाकों में 20 डिग्री से कम ढलान वाली जमीन पर ही निर्माण किया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि कुमारहट्टी में बन रही बहुमंजिला इमारतों को लेकर दायर जनहित याचिका को विस्तार देते हुए हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश को टीसीपी के अधीन करने के आदेश जारी किए थे ताकि पहाड़ियों को काट कर निर्माण कार्य को नियंत्रित किया जा सके। कोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया गया था कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अंधाधुंध भवन निर्माण किया जा रहा है। कोई कायदा कानून लागू न होने के कारण भू-मालिक बिना किसी डर के बेतहाशा निर्माण कार्य कर रहे हैं। इसके लिए न तो पहाड़ों की ढलान को देखा जाता है और न ही इमारतों की ऊंचाई के साथ-साथ कार्य की गुणवत्ता को।

सबसे भयावह तो यह है कि प्लानिंग एरिया और स्पैशल एरिया से बाहर के क्षेत्रों में भवन निर्माण को बेलगाम छोड़ दिया गया है। भौगोलिक दृष्टि से हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल प्रदेश अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही यह देश का ऐसा राज्य भी है जो भूकंप की दृष्टि से खतरनाक क्षेत्रों में शामिल है और 97 फीसदी क्षेत्र भूस्खलन की जद में है। ऐसे में बेलगाम निर्माण प्रदेश के लिए भयानक साबित हो सकता है।

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