Edited By Kuldeep, Updated: 25 Jul, 2025 11:18 PM

प्रदेश हाईकोर्ट ने टाटा एआईजी इंश्योरैंस कंपनी को 100 फीसदी अपंग हुए पीड़ित को 87 लाख 60 हजार रुपए का मुआवजा अदा करने के आदेश दिए हैं।
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने टाटा एआईजी इंश्योरैंस कंपनी को 100 फीसदी अपंग हुए पीड़ित को 87 लाख 60 हजार रुपए का मुआवजा अदा करने के आदेश दिए हैं। पीड़ित अभिजीत सिंह ठाकुर अपने ही पिता की लापरवाही से मोटर वाहन दुर्घटना के दौरान 100 फीसदी अपंग हो गया था। मोटर दुर्घटना मुआवजा प्राधिकरण ने 67,88,000 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया था। न्यायाधीश सत्येन वैध ने मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कोर्ट अपीलीय स्तर पर भी, कानून के उद्देश्य को पूरा करने के लिए उचित, निष्पक्ष और पर्याप्त मुआवजा दे सकते हैं। मामले के अनुसार मोटर वाहन से जुड़ी एक दुर्घटना में लगी चोटों और विकलांगता के लिए मुआवजे के लिए दावेदार अभिजीत द्वारा अधिनियम की धारा 166 के तहत दावा याचिका दायर की गई थी।
दुर्घटना 14 नवंबर 2012 को सुबह 7.30 बजे नेरवा से लाल पानी रोड पर कलारा नामक स्थान पर हुई थी। वाहन को दावेदार का पिता चला रहा था। वाहन सड़क से उतरकर एक गहरी खाई में गिर गया, जिसके परिणामस्वरूप दावेदार को गंभीर चोटें आईं, जिसके परिणामस्वरूप वह 100 प्रतिशत विकलांग हो गया। दावेदार लवली प्रोफैशनल यूनिवर्सिटी, जालंधर (पंजाब) में सिविल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के तृतीय वर्ष का छात्र था। विकलांगता के बाद, दावेदार अपनी शैक्षिक पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर सका। 100 प्रतिशत विकलांगता के कारण, दावेदार पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो गया है, क्योंकि वह स्वतंत्र रूप से कोई भी गतिविधि नहीं कर सकता।
मोटर वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण ने इंश्योरैंस कंपनी को 7.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित 67,88,000 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस राशि को बढ़ाते हुए कहा कि पीड़ित जो 14 नवंबर 2012 तक एक मेधावी छात्र था, पैराप्लेजिया के कारण 100 प्रतिशत विकलांग हो गया। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐसी स्थिति में दावेदार को अपना शेष जीवन बिस्तर पर लेटकर या कुर्सी पर बैठकर बिताना होगा। उसके शानदार करियर, विवाह और जीवन के अन्य सभी आनंद के अवसर छीन लिए गए हैं। हालांकि, कोई भी धनराशि इस तरह के नुक्सान की भरपाई नहीं कर सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उपरोक्त नुक्सान के लिए उचित और पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए।