Edited By Vijay, Updated: 16 Jul, 2025 03:18 PM

हिमाचल प्रदेश में चल रहे फोरलेन निर्माण कार्य को लेकर प्रभावित लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कालका-शिमला फोरलेन प्रोजैक्ट से प्रभावित ग्रामीणों ने राजधानी शिमला के चक्कर स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) कार्यालय के बाहर धरना...
शिमला: हिमाचल प्रदेश में चल रहे फोरलेन निर्माण कार्य को लेकर प्रभावित लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कालका-शिमला फोरलेन प्रोजैक्ट से प्रभावित ग्रामीणों ने राजधानी शिमला के चक्कर स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन वामपंथी संगठनों के बैनर तले किया गया, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने एनएचएआई के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और मुआवजे की मांग को लेकर प्रशासन से कड़े कदम उठाने की अपील की।
डंगे गिरने और डंपिंग से उजड़े घर-खेत
सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने धरने के दौरान बताया कि फोरलेन परियोजना के चलते न केवल ग्रामीणों के घर खतरे में आ गए हैं, बल्कि बड़ी मात्रा में खेती योग्य भूमि भी बर्बाद हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य के दौरान एनएचएआई द्वारा अधिकृत कंपनियां कई जगहों पर अवैध तरीके से मलबा डंप कर रही हैं। इसके अलावा जो डंगे लगाए जा रहे हैं, वे बिना गुणवत्ता जांच के लगाए गए हैं, जाेकि कई स्थानों पर ढह गए और नतीजन घरों को नुक्सान पहुंचा है।
अवैज्ञानिक तरीके से हाे रही पहाड़ों की कटाई
प्रदर्शनकारियों ने आराेप लगाया कि एनएचएआई के अधीन जो निर्माण कंपनियां काम कर रही हैं, वे नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं। न तो पर्यावरणीय मानकों का पालन किया जा रहा है और न ही श्रम कानूनों की परवाह की जा रही है। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि इन कंपनियों द्वारा पहाड़ों की अवैज्ञानिक कटिंग की जा रही है, जिससे भूस्खलन और मिट्टी के कटाव का खतरा बढ़ गया है। कई गांवों में जमीन धंसने की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे स्थानीय लोग दहशत में हैं।
सरकार और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर राज्य सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी पहले ही चिंता जता चुके हैं। उन्होंने फोरलेन निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कंपनियों की कार्यप्रणाली संतोषजनक नहीं है और बार-बार चेतावनियों के बावजूद सुधार नहीं किया गया है। मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि यदि निर्माण में गुणवत्ता नहीं लाई गई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं हमीरपुर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी हाल ही में आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा किया था। उन्होंने निरीक्षण के दौरान निर्माण कार्य में लापरवाही पाए जाने पर कंपनी अधिकारियों को सख्त फटकार लगाई थी।
ये है स्थानीय लोगों की मांग
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग है कि प्रभावित परिवारों को शीघ्र और उचित मुआवजा दिया जाए, अवैध डंपिंग को रोका जाए, डंगे मजबूत बनाए जाएं और पूरे निर्माण कार्य की स्वतंत्र जांच करवाई जाए, साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास की योजना जल्द शुरू करने की भी मांग की गई है।