Himachal: वित्तीय संकट के बीच सरकार के सामने अब काेरोना और मानसून से निपटने की चुनौती

Edited By Kuldeep, Updated: 04 Jun, 2025 05:33 PM

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वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे प्रदेश के ऊपर इस समय काेरोना व मानसून से निपटने की चुनौती है। देश में फिर कोरोना के मामले सक्रिय होने शुरू हो गए हैं और इसने हिमाचल प्रदेश में भी दस्तक दे दी है।

शिमला (कुलदीप): वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे प्रदेश के ऊपर इस समय काेरोना व मानसून से निपटने की चुनौती है। देश में फिर कोरोना के मामले सक्रिय होने शुरू हो गए हैं और इसने हिमाचल प्रदेश में भी दस्तक दे दी है। ऐसे में राज्य सरकार के सामने पहली चुनौती प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने की है। इसके लिए स्वास्थ्य संस्थानों में कोरोना टैस्ट के लिए जरूरी आरटीपीसीआर किट की कमी दूर करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। मौजूदा समय में स्वास्थ्य संस्थानों में रैपिड टैस्ट से काम चलाना पड़ रहा है। कोरोना का ग्राफ बढ़ने की स्थिति में प्रदेश में वैंटिलेटर और ऑक्सीजन की व्यवस्था दुरुस्त करने की आवश्यकता है। दूसरी चुनौती प्रदेश में मानसून के शीघ्र दस्तक देने की है।

सरकार की तरफ से अब तक मानसून पूर्व बांध सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक आयोजित हो चुकी है। इसमें केंद्रीय जल आयोग के दिशा-निर्देशों तथा डैम सेफ्टी एक्ट, 2021 के अनुसार सुरक्षा मानकों के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई। इस दौरान सभी संबंधित पक्षों को निर्देश दिए गए कि वे स्थापित सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें और उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखें। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राज्य स्तरीय मैगा मॉक ड्रिल तथा मानसून मौसम की तैयारियों के परिप्रेक्ष्य में संचार मॉक ड्रिल का किया है।

केंद्र से मदद की गुहार लगा रहा हिमाचल
प्रदेश सरकार प्रतिकूल वित्तीय हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं 16वें वित्तायोग के अध्यक्ष डा. अरविंद परगढ़िया से मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने इस दौरान घटती राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) राशि का मामला प्रमुखता से उठाया। प्रदेश को वित्तीय वर्ष 2020-21 में आरडीजी ग्रांट 11,431 करोड़ रुपए थी, जो मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 में घटकर 3,257 करोड़ रुपए रह गई है। इसी तरह केंद्र सरकार की तरफ से आए दल की तरफ से प्राकृतिक आपदा में हिमाचल प्रदेश को 9,042 करोड़ रुपए का नुक्सान आंका गया था, जिसकी भरपाई अब तक नहीं हो पाई है। उन्होंने केंद्र से ग्रीन बोनस एवं पावर प्रोजैक्टों में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी और रॉयल्टी से जुड़े विषयों को उठाया है।

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