अतिक्रमण व बेतरतीब निर्माण को लेकर हाईकोर्ट ने 2015 में ही सतर्क रहने की दी थी चेतावनी

Edited By Kuldeep, Updated: 21 Aug, 2023 11:59 PM

shimla encroachment high court year 2015 warning

मानसून की शुरूआत के बाद से हिमाचल प्रदेश में विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग बेघर हो गए।

शिमला (मनोहर): मानसून की शुरूआत के बाद से हिमाचल प्रदेश में विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग बेघर हो गए। वर्ष 2015 में पारित एक फैसले में हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को सतर्क रहने और किसी भी रूप में अतिक्रमण की अनुमति न देने की चेतावनी दी थी, चाहे वह दुकानों का अवैध विस्तार हो, इसका प्रक्षेपण, ऊ ध्र्वाधर और क्षैतिज अवैध विस्तार हो।

न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका के रूप में स्वत: संज्ञान में ली गई याचिका पर 12.05.2015 को यह आदेश पारित किया था। न्यायालय ने उक्त फैसले में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तरदाताओं ने हाल के भूकंपों से कोई सबक नहीं लिया है, जिन्होंने हिमालय क्षेत्र विशेषकर नेपाल को तबाह कर दिया है। नवीनतम अध्ययनों के अनुसार हिमाचल प्रदेश का अधिकांश भाग भूकंपीय क्षेत्र-5 में और शेष क्षेत्र-4 में आता है और फिर भी यह तथ्य शिमला में अधिकारियों को उनकी नींद से बाहर निकालने में विफल रहा है।

न्यायालय ने कहा-बेतरतीब निर्माण, शिमला शहर को कंकरीट के जंगल में बदले का प्रयास
न्यायालय ने कहा कि बेतरतीब और अवैध निर्माण किया जा रहा है और इस शहर के सात हिमालय क्षेत्र को कंकरीट के जंगल में बदलने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। उच्च तीव्रता का भूकंप शिमला को मलबे की कब्र में बदल सकता है क्योंकि यह भूकंपीय क्षेत्र 4-5 में आता है। अधिकांश इमारतें उपनियमों और भवन मानदंडों का उल्लंघन करती हैं और उन्होंने भूकंपीय भवन मानदंडों का भी पालन नहीं किया है। अधिकांश इमारतें खड़ी ढलानों पर अनिश्चित रूप से लटकी हुई हैं और एक-दूसरे से चिपकी हुई हैं। एक मध्यम और उच्च तीव्रता का भूकंप भीड़भाड़ वाली बस्तियों के लिए विनाशकारी हो सकता है, जहां से बचने का कोई रास्ता नहीं है और उनके ताश के पत्तों की तरह ढहने की संभावना है।

शिमला की सुंदरता को खराब किया
न्यायालय ने माना कि बेतरतीब, अनियोजित और अवैध निर्माणों ने हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी शहरों, विशेष रूप से इसकी राजधानी शिमला की सुंदरता को खराब कर दिया है। अब समय आ गया है कि पूरे हिमालय क्षेत्र में हाल ही में हुई तबाही और भूकंपीय गतिविधि को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण उपनियमों में उचित संशोधन किया जाए।

 

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