आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 3402 बच्चों को मिला निजी स्कूलों की पहली कक्षा में प्रवेश

Edited By Kuldeep, Updated: 24 Jul, 2023 09:53 PM

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आर.टी.ई. की धारा-12 में आॢथक रूप से कमजोर वर्ग और वंचित समूहों के बच्चों को निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के प्रावधानों के तहत शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में निजी शिक्षण संस्थानों में 3402 बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश मिला है।

शिमला (अभिषेक): आर.टी.ई. की धारा-12 में आॢथक रूप से कमजोर वर्ग और वंचित समूहों के बच्चों को निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के प्रावधानों के तहत शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में निजी शिक्षण संस्थानों में 3402 बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश मिला है। इनकी पढ़ाई का खर्च प्रदेश सरकार द्वारा व्यय किया जा रहा है। सोमवार को शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में आज यहां शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आर.टी.ई.)-2009 के तहत राज्य सलाहकार परिषद की द्वितीय बैठक आयोजित की गई।

बैठक में शिक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। आर.टी.ई. की धारा-12 में तय प्रावधान के तहत प्रदेश में सराहनीय कार्य किया गया है। बैठक में शिक्षा मंत्री ने सभी जिला मुख्यालयों में विशेष बच्चों के लिए संसाधन कक्ष सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। वर्तमान में लगभग सभी जिला मुख्यालयों में ये कक्ष उपलब्ध हैं। इन संसाधन कक्षों को खंड स्तर तक ले जाने के लिए विचार-विमर्श किया गया। ये प्रयास समग्र शिक्षा के तहत किए जाएंगे। पहली कक्षा में प्रवेश की आयु तय करने को राज्य स्तरीय टास्क फोर्स गठित करने के निर्देश शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने पहली कक्षा में प्रवेश की आयु तय करने के लिए एक राज्य स्तरीय टास्क फोर्स गठित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य शैक्षिक, अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एस.सी.ई.आर.टी.) को सुगठित व सुव्यवस्थित करने के लिए भी कहा। यह प्रदेश का अकादमिक प्राधिकरण है।

एन.सी.सी. हिमाचल के सभी स्कूलों में लागू करने के निर्देश
एन.सी.सी. से संबंधित मामलों व उनके समाधान के लिए राज्य सरकार की नवगठित राज्य सलाहकार समिति की पहली बैठक रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में हुई। बैठक में शिक्षा मंत्री ने एन.सी.सी. को हिमाचल प्रदेश के सभी स्कूलों में लागू करने के निर्देश दिए ताकि स्कूलों के साथ कालेजों में भी छात्रों को ये सुविधा मिले। बैठक में कहा गया कि इस दिशा में कम से कम जो शैक्षणिक संस्थाएं हिमाचल प्रदेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों में हैं उन सब में प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जाए। कर्नल ए.एस. बैंस (ग्रुप कमांडर एन.सी.सी. मुख्यालय) ने पूरी गतिविधियों व समस्याओं का ब्यौरा दिया। इस दौरान सरकाघाट मंडी में एन.सी.सी. अकादमी बनाने, सीविलयन स्टॉफ की कमी को दूर करने, प्रशिक्षित एन.सी.सी. अधिकारियों का स्थानांतरण एन.सी.सी. वाली शिक्षण संस्थाओं में ही करने, एन.सी.सी. के लिए समय-समय पर बजट को बढ़ाने व बजट की कमी को दूर करने आदि पर चर्चा हुई।

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