हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर लिया कड़ा संज्ञान

Edited By Kuldeep, Updated: 25 Sep, 2023 08:52 PM

shimla court order compliance

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने सिविल कारावास की सजा देने के लिए वन विभाग के दोषी अधिकारी की जानकारी तलब की है।

शिमला (मनोहर): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने सिविल कारावास की सजा देने के लिए वन विभाग के दोषी अधिकारी की जानकारी तलब की है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बी.सी. नेगी ने मामले की सुनवाई मंगलवार को निर्धारित की है। अदालत ने कहा कि जब तक अदालत के आदेश या निर्णय सक्षम अदालत की ओर से निरस्त नहीं किए जाते हंै, तब तक अधिकारियों की ओर से इनकी अनुपालना करनी होगी। अदालत ने किरपा राम की ओर से दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिए।

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि जिला मंडी के उप वन संरक्षक सुकेत वन खंड ने अदालत के निर्णय को लागू करने के लिए 8 हफ्ते का अतिरिक्त समय मांगा था। अदालत ने अपने आदेशों में कहा कि याचिकाकर्ता के हक में जो फैसला सुनाया गया है, उस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट भी अपनी मुहर लगा चुका है। लेकिन सरकार की ओर से बार-बार इसी मुद्दे को किसी न किसी याचिका के माध्यम से चुनौती दी जा रही है। अदालत ने कहा कि सरकार की इस कार्यप्रणाली के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 5 लाख रुपए की कॉस्ट भी लगाई है। अदालत ने याचिकाकत्र्ता को 8 वर्ष के बाद वर्क चार्ज स्टेटस देने के आदेश दिए थे। अदालत ने पाया कि जोगेंद्र सिंह को यह लाभ पहली जनवरी, 2002 से दे दिया गया है। 

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