मंत्रिमंडल: 12 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण कर चुके 1,386 पात्र जल रक्षक जल शक्ति विभाग में पंप अटैंडैंट होंगे नियुक्त

Edited By Kuldeep, Updated: 29 Jul, 2025 10:03 PM

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में दूसरे दिन मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के अंतर्गत 12 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से सेब की खरीद को मंजूरी प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।

शिमला (हैडली): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में दूसरे दिन मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मंडी मध्यस्थता योजना (एम.आई.एस.) के अंतर्गत 12 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से सेब की खरीद को मंजूरी प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा योजना के अंतर्गत बी और सी ग्रेड के किन्नू, माल्टा और संतरे को 12 रुपए प्रति किलोग्राम, गलगल 10 रुपए प्रति किलोग्राम और सीडलिंग, कलमी और कच्चा अचारी आम 12 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदने का भी निर्णय लिया गया है।

बैठक में 31 दिसम्बर 2024 तक 12 वर्ष या उससे अधिक की सेवा अवधि पूर्ण कर चुके 1,386 पात्र जल रक्षकों (वाटर गार्ड्स) को जल शक्ति विभाग में पंप अटैंडैंट के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया गया। मंत्रिमंडल ने कांगड़ा जिला के देहरा में एक नया क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आर.टी.ओ.) खोलने और इसके सुचारू संचालन के लिए आवश्यक पद सृजित कर भरने का निर्णय लिया।

मंत्रिमंडल ने नाहन, नालागढ़, मौहल, करसोग, चम्बा के पांगी और रोहड़ू में नए दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के साथ-साथ हमीरपुर जिले के जलाड़ी में एक नया मिल्क चिलिंग सैंटर और ऊना जिला के झलेरा में एक बल्क मिल्क कूलर स्थापित करने को भी मंजूरी दी। दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश दुग्ध संघ में उद्यम संसाधन नियोजन (ई.आर.पी.) सॉफ्टवेयर प्रणाली लागू करने का भी निर्णय लिया गया। इससे संघ के संचालन का डिजिटलीकरण होगा और किसानों को मोबाइल फोन के माध्यम से सभी आवश्यक जानकारियां आसानी से उपलब्ध होंगी।

नदी-नालों के किनारे नहीं बनाए जाएंगे कोई सरकारी संस्थान, उप-समिति भी गठित
मंत्रिमंडल ने आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास संबंधी मंत्रिमंडलीय उप-समिति की सिफारिशों को भी मंजूरी प्रदान की। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में उप-समिति का गठन राज्य की आपदा तैयारी और पुनर्वास तंत्र को सुदृढ़ बनाने के उपायों की जांच और सुझाव देने के लिए किया गया था। उप-समिति ने राज्य भर में भवनों के संरचनात्मक सुरक्षा ऑडिट करवाने की सिफारिश की है, ताकि उनकी आपदा सहनशीलता का आकलन किया जा सके। ऑडिट के आधार पर, आपदाओं के दृष्टिगत संरचनात्मक क्षति के जोखिम को कम करने के लिए रैट्रोफिटिंग उपाय किए जाएंगे। आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी अधोसंरचना के महत्व पर बल देते हुए समिति ने प्रदेश में भूकंपरोधी निर्माण कार्यों को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की है।

आपदा प्रतिक्रिया की दक्षता बढ़ाने के लिए, उप-समिति ने होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा, अग्निशमन सेवाओं और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) को हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एचपी एसडीएमए) के आपदा प्रबंधन सैल के साथ एकीकृत करने का भी सुझाव दिया है, जिसका उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों के दौरान समन्वित और त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है। मुख्यमंत्री ने मीडिया से रू-ब-रू होते हुए कहा कि इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए राज्य सरकार अब एक स्थायी नीति ला रही है, जिससे जान-माल के नुक्सान को कम किया जा सके। भविष्य में कोई भी सरकारी संस्थान नदी-नालों के किनारे नहीं बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब से सभी सरकारी भवन 100 से 150 मीटर की सुरक्षित दूरी पर ही बनाए जाएंगे। यह निर्णय राज्य में बार-बार आ रही प्राकृतिक आपदाओं और भारी नुक्सान को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

यह लिए गए अन्य बड़े व महत्वपूर्ण निर्णय
मंत्रिमंडल ने कांगड़ा जिला के देहरा स्थित बनखंडी में दुर्गेश-अरण्य प्राणी उद्यान के विकास के प्रथम चरण के अंतर्गत 325 वृक्षों के स्थानांतरण (ट्रांसलोकेशन) को भी मंजूरी दी गई। बैठक में प्रदेश के जिला अस्पतालों और चयनित आदर्श स्वास्थ्य संस्थानों में कीमोथैरेपी के लिए 18 डे केयर सैंटरों को उपकरणों से लैस और स्तरोन्नयन करने की मंजूरी प्रदान की गई। इस पहल का उद्देश्य कैंसर रोगियों को उनके जिला में ही सुलभ उपचार प्रदान करना है, जिससे उन्हें उपचार के लिए चिकित्सा महाविद्यालयों या राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी, इससे मरीजों और उनके परिवारों के समय और धन दोनों की बचत होगी। मंत्रिमंडल ने कुल्लू जिला के नागरिक अस्पताल तेगुबेहड़ में 50 बिस्तरों की क्षमता केे क्रिटिकल केयर ब्लॉक और एक जिला एकीकृत जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला की स्थापना कर महत्पपूर्ण मशीनों से लैस करने को भी मंजूरी दी।

मंत्रिमंडल ने सिविल अस्पताल मनाली, क्षेत्रीय अस्पताल सोलन, सिविल अस्पताल पांवटा, सिविल अस्पताल देहरा, क्षेत्रीय अस्पताल रिकांगपिओ और डा. राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय हमीरपुर में क्रिटिकल केयर ब्लॉकों के लिए चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति को मंजूरी दी। क्षेत्रीय अस्पताल सोलन, सिविल अस्पताल पांवटा, सिविल अस्पताल देहरा और सिविल अस्पताल नगरोटा बगवां में जिला एकीकृत जन स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं के लिए उपकरण आपूर्ति को भी मंजूरी दी गई। मंत्रिमंडल ने प्रदेश के सरकारी पॉलीटैक्नीक कॉलेजों में विभिन्न शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक पदों के युक्तिकरण को भी मंजूरी दी।

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