Himachal: 8 वर्ष सेवा पूरी करने वाले अंशकालिक जल रक्षक के हक में हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Edited By Vijay, Updated: 03 Dec, 2025 11:39 PM

highcourt shimla

प्रदेश उच्च न्यायालय ने अंशकालिक जल रक्षक की सेवाओं को 8 वर्ष की सेवा पूरी करने के पश्चात दैनिक भोगी के तौर पर परिवर्तित करने के आदेश जारी किए हैं।

शिमला (मनोहर): प्रदेश उच्च न्यायालय ने अंशकालिक जल रक्षक की सेवाओं को 8 वर्ष की सेवा पूरी करने के पश्चात दैनिक भोगी के तौर पर परिवर्तित करने के आदेश जारी किए हैं। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने यह निर्णय प्रेम लाल द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात पारित किया। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी 1 मई, 2012 से अंशकालिक आधार पर जल रक्षक के रूप में कार्यरत है और 5 मई, 2020 की नीति के अनुसार, अंशकालिक आधार पर 8 वर्ष की सेवा पूरी होने पर उसकी सेवाओं को दैनिक भोगी के तौर पर परिवर्तित नहीं किया गया है।

प्रतिवादियों ने हालांकि अपने जवाब शपथ पत्र में इस तथ्य को स्वीकार किया कि प्रार्थी को उपरोक्त तिथि से जल रक्षक के रूप में अंशकालिक आधार पर नियुक्त किया गया है, लेकिन उसकी सेवा को अंशकालिक से दैनिक वेतन भोगी में परिवर्तित करने की उसकी मांग को इस आधार पर रद्द कर दिया गया है कि वह जल शक्ति विभाग का कर्मचारी नहीं है, बल्कि वह ग्राम पंचायत मांगल द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार काम कर रहा है। अंशकालिक आधार पर जल रक्षक के पद पर प्रार्थी की नियुक्ति, यदि कोई हो, ग्राम पंचायत मांगल और जल शक्ति विभाग के बीच हुए समझौता ज्ञापन के अनुसार है, जिसके तहत ग्राम पंचायत मांगल के अधिकार क्षेत्र में आने वाले कई गांवों में पानी के वितरण/आपूर्ति की निगरानी के लिए कई व्यक्तियों को तैनात किया गया है। इसमें कोई विवाद नहीं है कि मानदेय, जिसे अब बढ़ाकर 5600 रुपए प्रति माह कर दिया गया है, वह जल शक्ति विभाग द्वारा दिया जा रहा है। इसमें भी कोई विवाद नहीं है कि ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों के सभी अंशकालिक कर्मचारियों की सेवाओं को दैनिक वेतन भोगी में परिवर्तित करने और नियमितीकरण की अधिसूचना/नीति के अनुसार लाभ दिया गया है। पंचायती राज अधिनियम की धारा 135 के अनुसार, ग्राम पंचायत को अंशकालिक चौकीदार नियुक्त करने का अधिकार है, लेकिन वे सक्षम प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन से जल रक्षक, तकनीकी सहायक और पंचायत सहायकों की भी नियुक्ति कर सकती है। इसकी अनुमति है। 

कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए याचिका को स्वीकार कर लिया और प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे प्रार्थी की सेवाओं को दिनांक 5 मई, 2020 की नीति के अनुसार अंशकालिक से दैनिक वेतन भोगी में तत्काल 8 सप्ताह के भीतर परिवर्तित करें। कोर्ट ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह नियत तिथि से अपनी सेवाओं को अंशकालिक से दैनिक वेतन भोगी में परिवर्तित करने के कारण याचिकाकर्त्ता किसी भी वित्तीय लाभ का हकदार नहीं होगा, लेकिन नियत तिथि से उसकी वरिष्ठता नियमितीकरण के उद्देश्य से सुरक्षित रहेगी, जिसका दावा वह बाद में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नियमितीकरण नीति, यदि कोई हो, उसके अनुसार कर सकता है।

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